नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय विदेशी निवेशकों (FDI) के लिए व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के मकसद से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (NIC) संहिता से जोड़ने की दिशा में काम कर रहा है। औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन विभाग ने आर्थिक मामलों के विभाग से उसके द्वारा तैयार एनआईसी कोड की मैपिंग पर मसौदा का परीक्षण करने को कहा है।
एक अधिकारी ने कहा, डीआईपीपी इस मामले में काफी मेहनत कर रहा है क्योंकि इसे बहुत सतर्कता के साथ करने एवं गहराई से परीक्षण की जरूरत है। यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि संहिता तथा एफडीआई नीति के संदर्भ में स्पष्टता का अभाव है। अधिकारी ने कहा, एनआईसी में कानूनी प्रैक्टिस जैसे कई क्षेत्रों का एनआईसी में जिक्र है और साथ ही कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां एफडीआई नीति स्पष्ट नहीं है। यथा यह साफ नहीं है कि यह स्वत: मार्ग के अंतर्गत है या मंजूरी मार्ग के अंतर्गत और एफडीआई प्राप्त करने के लिए क्या कोई शर्त है।
सभी आर्थिक गतिविधियां एनआईसी कोड के तहत वर्गीकृत हैं। औद्योगिकी लाइसेंस लेने तथा औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन जमा करने के लिये यह वर्गीकरण जरूरी है। अधिकारी ने कहा, एनआईसी संहिता को एफडीआई नीति से जोड़ने से उदार एफडीआई नीति व्यवस्था के क्रियान्वयन का रास्ता साफ होगा। यह एनआईसी कोड के विश्लेषण में अस्पष्टता को दूर करेगा। वर्ष 2015-16 देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 29 फीसदी बढ़कर 40 अरब डॉलर रहा। कारोबार सुगमता की दृष्टि से विश्वबैंक की 189 देशों की पिछली रैंकिंग में भारत 130वें स्थान पर था।
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