सभी सरकारी बैंक एक हो जाएं तो भी नहीं कर सकते अकेले HDFC बैंक की बराबरी, क्या ज्यादा सुरक्षित हैं प्राइवेट बैंक?
सभी सरकारी बैंकों की मार्केट कैप को अगर मिला लिया जाए तो भी 4 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार नहीं होता है, जबकी अकेले HDFC बैंक की मार्केट कैप लगभग 5 लाख करोड़ रुपए है
नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11400 करोड़ रुपए के घोटाले ने देश के सरकारी बैंकों की कार्य प्रणाली को लेकर बड़ा सवाल उठाना शुरू कर दिया है। देश के सरकारी बैंकों की जो हालत है उसे देखते हुए अब आवाज उठने लगी है कि इन बैंकों को निजी हाथों में सौंप देना चाहिए, सोमवार को उद्योग संगठन एसोचैम की तरफ से सुझाव आया कि सरकार को सभी सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत से कम कर देना चाहिए।
बाजार पर बढ़ रहा है निजी बैंकों का कब्जा
अगर देश के सरकारी बैंकों की व्यवस्था को निजी बैकों की व्यवस्था से तुलना की जाए तो निजी बैंक इसमें कहीं आगे नजर आते हैं और शायद यही भरोसा है कि देश की बैंकिंग व्यवस्था पर धीरे-धीरे निजी बैंकों का कब्जा होता जा रहा है। कहने को तो देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) है, लेकिन बाजार मूल्यकरण के हिसाब से देखा जाए तो HDFC बैंक के आगे देश के सभी बैंक छोटे नजर आते हैं।
SBI से कहीं बड़ा है HDFC
सभी सरकारी बैकों की कुल मार्केट कैपिटल को मिला लिया जाए तो भी HDFC बैंक की मार्केट कैपिटल कहीं ज्यादा ही बैठती है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक HDFC बैंक की कुल मार्केट कैपिटल लगभग 5 लाख करोड़ रुपए के करीब है। वहीं देश के सबसे बड़े बैंक माने जाने वाले SBI की मार्केट कैप अब 2.25 लाख करोड़ रुपए भी नहीं बची है।
किस सरकारी बैंक की कितनी कीमत
पंजाब नेशनल बैंक को दूसरा बड़ा सरकारी बैंक माना जाता है, लेकिन घोटाले की वजह से PNB की मार्केट कैप भी अब 28000 करोड़ रुपए रह गई है, इसी तररह बैंक ऑफ बड़ौदा की मार्केट कैप लगभग 33000 करोड़, केनरा बैंक की 17600 करोड़, आईडीबीआई बैंक की लगभग 17000 करोड़, इंडियन बैंक की लगभग 15000 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया की लगभग 14500 करोड़, यूनियन बैंक की 9500 करोड़, आंध्र बैंक और इलाहाबाद बैंक की लगभग 4000-4000 करोड़, सिंडिकेट बैंक 5800 करोड़ और ओरिएंटल बैंक की मार्केट कैप लगभग 3500 करोड़ रुपए है।
सभी सरकारी बैंक मिल जाएं तो भी HDFC है बड़ा बैंक
सभी सरकारी बैंकों की मार्केट कैप को अगर मिला लिया जाए तो भी 4 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार नहीं होता है, जबकी अकेले HDFC बैंक की मार्केट कैप लगभग 5 लाख करोड़ रुपए है और दूसरे बड़े निजी बैंक ICICI बैंक की मार्केट कैप 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।
सरकारी बैंकों की सेवाओं का दायरा ज्यादा
हालांकि सेवाओं का दायरा देखा जाए तो निजी बैंक सरकारी बैंकों के सामने नहीं टिकते हैं, देश की आबादी के ज्यादा हिस्से को सरकारी बैंक ही सेवाएं देते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर अंत तक देशभर में 84 करोड़ से ज्यादा डेबिट कार्ड दर्ज किए गए हैं जिसमें अकेले SBI के लगभग 28 करोड़, PNB के लगभग 6 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया के 5 करोड़ से ज्यादा और बैंक ऑफ बड़ौदा के लगभग 5 करोड़ डेबिट कार्ड थे। वहीं इस मामले में निजी बैंक आसपास भी नहीं टिकते हैं, दिसंबर अंत में HDFC बैंक के करीब ढाई करोड़ और ICICI बैंक के 4 करोड़ से ज्यादा कार्ड दर्ज किए गए हैं।