कोका-कोला इंडिया Covid-19 के खिलाफ लड़ाई में करेगी 100 करोड़ रुपए का योगदान, जताई प्रतिबद्धता
कोका-कोला इंडिया का उद्देश्य दुनिया को तरोताजा करना और एक सकारात्मक बदलाव लाना है।
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए राहत प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए कोका-कोला इंडिया ने 100 करोड़ रुपए से अधिक का शुरुआती सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है। कंपनी इस राशि से स्वास्थ्य रक्षा तंत्र और समुदायों की मदद करेगी ताकि वे इस सकंट से मुकाबला कर सकें और इस महामारी को फैलने से रोक सकें। कोका-कोला इंडिया द्वारा शुरू किए गए इन राहत कार्यक्रमों का उद्देश्य देशभर में 10 लाख से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाना और उन्हें सकारात्मक रूप से प्रभावित करना है।
कोका-कोला इंडिया का उद्देश्य दुनिया को तरोताजा करना और एक सकारात्मक बदलाव लाना है। अपने इसी उद्देश्य को बरकरार रखते हुए, कंपनी देश के स्वास्थ्य रक्षा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में तात्कालिक सहयोग प्रदान करेगी। इसमें स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टेस्टिंग फैसिलिटीज एवं पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) शामिल हैं। कंपनी अपने एनजीओ एवं बॉटलिंग पार्टनर्स के साथ भी मिलकर काम कर रही है ताकि बेरोजगारों एवं प्रवासी कामगारों जैसे सबसे अधिक प्रभावित समुदायों की मदद की जा सके। कंपनी मौजूदा लॉकडाउन के दौरान इन लोगों को खाने-पीने के सामानों का वितरण कर रही है।
कंपनी कोविड-19 से लड़ाई के लिए 100 करोड़ रुपए का योगदान कर रही है ताकि सबसे अधिक संवेदनशील वर्गों की मदद की जा सके। कंपनी अपने बॉटलर्स के साथ साझेदारी में 10 राज्यों में 50 से अधिक स्थानों पर कार्यक्रमों का संचालन कर रही है ताकि लॉकडाउन के दौरान बेवरेज के वितरण के माध्यम से वंचित समुदायों की हाइड्रेशन संबंधी जरूरतों को पूरा कर रही है।
कोका कोला फाउंडेशन, एटलांटा के सहयोग से, कंपनी ने यूनाइटेड वे एवं केयर इंडिया के साथ महत्वपूर्ण साझेदारियां की हैं ताकि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हेल्थकेयर एवं खाद्य सुरक्षा को सहयोग देने की दिशा में पहलों को आरंभ किया जा सके। कोका-कोला इंडिया अपने पार्टनर सिविल सोसायटी ऑर्गनाइजेशंस (सीएसओएस) तथा अक्षय पात्र फाउंडेशन, वनराय, चिंतन, हसिरुडला, मंथन संस्थान, और अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन आदि जैसे एनजीओज के साथ भी काम कर रही है। इस तरह, तनावग्रस्त समुदयों को मुफ्त में भोजन मुहैया कराया जा रहा है तथा वेस्ट वर्कर्स (अपशिष्ट कर्मियों) को सूखा राशन, पीपीई और इमरजेंसी मेडिकल फंड्स के माध्यम से मदद दी जा रही है।