ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि. (ECL) के निदेशक (कार्मिक) के एस पात्रो ने कहा कि ECL पहले ही कोलकाता के दक्षिणेश्वर और झारखंड के देवघर में बाबाधाम में इस प्रकार के दो संयंत्र शुरू कर चुकी है। इसमें जो भी बासी फूल-पत्तियां एकत्रित होती हैं, उससे उर्वरक बनाया जाता है। ECL कोल इंडिया की अनुषंगी है।
कोल इंडिया के चेयरमैप एस भट्टाचार्य ने कहा कि ECL ने सीएसआर परियोजना के तहत कचरे को संपत्ति में बदलने के लिये बेहतरीन कार्य किया है। हम व्यवहारिक होने पर इसी प्रकार की परियोजनाएं और मंदिरों में शुरू करने पर गौर कर रहे हैं। परियोजना से मंदिरों में बड़े पैमाने पर पुष्प सामग्री के बेहतर उपयोग से स्वच्छ भारत कार्यक्रम के क्रियान्वयन में भी मदद मिलती है। परियोजना पर लागत 15 से 19 लाख के बीच आती है और इसे एनजीओ को सौंप दिया जाता है जो परियोजना का रखरखाव करता है।
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