नयी दिल्ली। सेल्युलर सेवा प्रदाताओं ने सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम की प्रस्तावित नीलामी के लिए इसकी आधार कीमतों में आधे से भी ज्यादा कटौती की मांग की है। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक सेल्युलर ऑपरेटरों के संगठन सीओएआई ने 5जी सेवाओं के विस्तार और डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए स्पक्ट्रम कीमतों में बड़ी कटौती की मांग की है।
एक दूरसंचार कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के आधार मूल्य में आधे से भी अधिक कटौती करने का अनुरोध किया है।’’ हालांकि, सीओएआई ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया।
स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी प्रक्रिया अप्रैल-जून 2022 की तिमाही में शुरू होने की उम्मीद है। इसके पहले मार्च, 2021 में हुई पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी के समय सरकार ने सात बैंड में 2308.80 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की पेशकश की थी जिसका आरक्षित मूल्य करीब चार लाख करोड़ रुपये था। यह अलग बात है कि प्रीमियम श्रेणी के 700 मेगाहर्ट्ज और 2,500 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम बिक ही नहीं पाए।
ज्यादा आधार मूल्य होने से दूरसंचार ऑपरेटर इससे दूर ही रहे। सरकार पिछली बार 3.3-3.6 गीगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम की नीलामी भी नहीं कर सकी थी क्योंकि इसे समय पर खाली नहीं कराया जा सका था। इसके अलावा इस बैंड का आधार मूल्य भी 5जी सेवाओं के लिए खासा महंगा बताया गया था। एक दूरसंचार ऑपरेटर के प्रतिनिधि ने आधार मूल्य में 50-60 प्रतिशत कटौती की मांग रखने का दावा किया है, तो दूसरे ऑपरेटर के प्रतिनिधि ने इसमें 60-70 फीसदी कटौती तक की मांग किए जाने की बात कही है।
दूरसंचार नियामक ट्राई ने 3.3-3.6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम में प्रति मेगाहर्ट्ज 492 करोड़ रुपये का आधार मूल्य तय किया था। इस दर पर ऑपरेटरों को 3,300-3,600 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर 9,840 करोड़ रुपये चुकाने पड़ेंगे। देशभर में फिलहाल 5जी सेवाओं का परीक्षण चल रहा है। इसके लिए सरकार ने गत मई में दूरसंचार कंपनियों को छह महीनों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया था।
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