फ्रॉड का शिकार होने में सरकारी बैंक सबसे आगे, को-ऑपरेटिव बैंकों में होते हैं कम घपले'
2019-20 में कुल फ्रॉड का सिर्फ 0.17 फीसदी हिस्सा को-ऑपरेटिव बैंक का’
नई दिल्ली। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आज प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर को-ऑपरेटिव बैंकों की वकालत की। दरअसल 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री ने को-ऑपरेटिव बैंकों का जिक्र किया था, जिसमें इन बैंकों पर रिजर्व बैंक के द्वारा नजर रखे जाने की बात कही गई थी। शरद पवार ने सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोगो के हितों के ऐसे कदम उठाए जाने अच्छे हैं लेकिन ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे को-ऑपरेटिव बैंकों के मूल स्वरूप पर असर पड़े। एनसीपी प्रमुख ने प्रधानमंत्री के द्वारा को-ऑपरेटिव बैंकों के वित्तीय अनुशासन की बात उठाने पर कहा कि को-ऑपरेटिव बैंकों में सरकारी बैंकों के मुकाबले कम घपले होते हैं।
अपनी बात रखने के लिए उन्होने आंकड़े भी सामने रखे। उन्होने लिखा कि रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्त वर्ष में कुल 6827 फ्रॉड के मामले आए थे, जिसमें 71,661 करोड़ रुपये की रकम की धोखाधड़ी हुई थी। इसमें से को-ऑपरेटिव बैंकों में हुई धोखाधड़ी की रकम सिर्फ 0.17 फीसदी यानि 127.7 करोड़ रुपये थी। वहीं सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 90.2 फीसदी यानि करीब 64509 करोड़ रुपये थी। निजी बैंकों की हिस्सेदारी 7.7 फीसदी और विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी 0.64 फीसदी ही थी। वहीं साल 2019-20 में पीएमसी बैंक घोटाले में 4355 करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आई , हालांकि इसी साल के पहले 6 महीने में राष्ट्रीयकृत बैंकों में 95 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाध़ड़ी सामने आई। शऱद पवार ने कहा कि इन आंकड़ों से ये कहना गलत है कि पैसों की हेराफेरी और वित्तीय अनियमितता सिर्फ को-ऑपरेटिव बैंकों में होती है।