सीमेंट उद्योग ने कचरा प्रबंधन और स्वच्छता कार्यक्रम के प्रति जताई अपनी प्रतिबद्धता, आर्थिक सुस्ती की चपेट में घिरा सेक्टर
आर्थिक सुस्ती का असर सीमेंट उद्योग पर भी हुआ है और इस वर्ष अप्रैल से मांग में कमी की समस्याएं आ रही हैं, जिसके कारण अभी सीमेंट कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से परिचालन नहीं कर पा रही हैं।
नई दिल्ली। आर्थिक सुस्ती का असर सीमेंट उद्योग पर भी हुआ है और इस वर्ष अप्रैल से मांग में कमी की समस्याएं आ रही हैं, जिसके कारण अभी सीमेंट कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से परिचालन नहीं कर पा रही हैं। कमजोर मांग से जूझ रहे सीमेंट उद्योग ने कचरे एवं प्लास्टिक के निपटान तथा भारत सरकार के स्वच्छता ही सेवा के साथ सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
सीमेंट उद्योग में वैकल्पिक ईंधन एवं कच्चे माल पर चौथी कॉन्फ्रेंस- सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) कंजर्व 2019 का उद्घाटन भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन के सचिव परमेश्वरन अय्यर और वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा द्वारा किया गया।
इस अवसर पर सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) के अध्यक्ष और डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड के एमडी व सीईओ महेंद्र सिंघी ने कहा कि सीमेंट उद्योग ने प्रदर्शित किया है कि क्लीन एवं ग्रीन फायदेमंद, सतत व जिम्मेदार है। हम 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए तैयार हो रहे हैं और सरकार को उसके मिशन में पूरा सहयोग दे रहे हैं। कम कार्बन की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन में सीमेंट सेक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और हम शेष क्लीन एवं ग्रीन की दृष्टि से प्रभावशाली बने रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे पास इस सेक्टर को सर्वाधिक प्रभावशाली बनाए रखने के लिए सर्वश्रेष्ठ टेक्नोलॉजी हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय सीमेंट उद्योग कच्चे माल एवं ईंधन के रिप्लेसमेंट के रूप में लगभग 7.5 करोड़ टन वेस्ट पदार्थों का उपयोग कर सकता है। लेकिन इसके लिए इतना ज्यादा वेस्ट मटेरियल हर साल निर्मित होता है, जिससे न केवल पर्यावरण को बल्कि समाज को भी स्वास्थ्य के अनेक खतरे हो सकते हैं।
इस अवसर पर सीमेंट उद्योग में एएफआर के उपयोग पर एक विशेष सीएमए पब्लिकेशन अल्टरनेट फ्यूल्स एवं रॉ मटेरियल्स इन सीमेंट इंडस्ट्री जारी किया गया। स्वच्छता ही सेवा मिशन के तहत, सीएमए ने नई दिल्ली के स्कूलों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक (एसयूपी) का उपयोग करने के खिलाफ जागरुकता का निर्माण करने के लिए एक विशेष अभियान लॉन्च किया, जो अब पूरे भारत में विस्तारित किया जाएगा।
आर्थिक सुस्ती की चपेट में सीमेंट उद्योग
आर्थिक सुस्ती का असर सीमेंट उद्योग पर भी हुआ है और इस वर्ष अप्रैल से मांग में कमी की समस्यायें आ रही है जिसके कारण अभी सीमेंट कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से परिचालन नहीं कर पा रही हैं।
इस क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष संगठन सीमेंट मैनुफैक्चरर्स एसोसियेशन (सीएमए) के अध्यक्ष एवं डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र सिंघी ने कहा कि अभी देश की सीमेंट कंपनियां अपनी स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत ही उपयोग कर पा रही है। मांग में कमी के कारण 30 प्रतिशत क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही है क्योंकि यह पूरी तरह से मांग आधारित उद्योग है, मांग आने पर उत्पादन तत्काल शुरू हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने सीमेंट पर पर जीएसटी को 28 फीसदी से कम कर 18 फीसदी करने की मांग नहीं की है लेकिन यह सरकार पर है कि वह इस संबंध में कब निर्णय लेती है। उनका संगठन सरकार के साथ है। उन्होंने कहा कि अभी देश में सीमेंट पूरी दुनिया से लगभग सस्ती है क्योंकि छह रुपए प्रति किलो यह बिक रहा है। इसमें 28 फीसदी जीएसटी भी जुड़ा हुआ है। सीमेंट उद्योग में पैकेजिंग के लिए जो प्लास्टिक उपयोग होता है वह सिंगल उपयोग वाला नहीं है लेकिन यह उद्योग प्लास्टिक के कचरे को निपटान के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा।