नई दिल्ली। नागर विमानन मंत्रालय जेट ईंधन (ATF) को माल एवं सेवा कर (GST) के तहत लाने की एयरलाइन उद्योग की मांग पर विचार कर रहा है। उसने यह मामला वित्त मंत्रालय के साथ भी उठाया है। नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। वैश्विक विमानन एवं हवाई ढुलाई क्षेत्र पर एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खरोला ने कहा कि मंत्रालय ने देश के वायु क्षेत्र के महत्तम इस्तेमाल के लिए विशेष कदम उठाए हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के साथ घरेलू विमानन कंपनियों की लागत में भी कटौती होगी।
भारतीय एयरलाइंस के परिचालन खर्च में एटीएफ या जेट ईंधन का हिस्सा 45 से 55 प्रतिशत बैठता है। भारत में एटीएफ का दाम दुनिया में सबसे अधिक है। उद्योग लंबे समय से एटीएफ को जीएसटी के तहत लाने की मांग कर रहा है। खरोला ने कहा कि हम उद्योग की इस मांग पर काम कर रहे हैं। हमने यह मुद्दा वित्त मंत्रालय के साथ भी उठाया है। इस मामले को जीएसटी परिषद के पास भेजना होगा। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
पीएचडीसीसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खरोला ने बताया कि देश के वायु क्षेत्र के महत्तम इस्तेमाल के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इससे यात्री और कार्गो विमान यात्रा की दूरी को महत्तम कर पाएंगे और उनकी लागत में कमी आएगी।
खरोला ने कहा कि हमनें देखा है कि अधिकांश आर्थिक क्षेत्र इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और यह विमानन के लिए भी मुश्किल है। लेकिन मैं कह सकता हूं कि कम से कम भारतीय विमानन क्षेत्र ने भी बहुत सी मुश्किलों का सामना किया है लेकिन यह अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इसमें सबसे बड़ी भागीदारी एयर फ्रेट और कार्गो की है। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि एयर कार्गो में बहुत अधिक संभावना है, न केवल घरेलू स्तर पर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी।
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