नई दिल्ली। शहरों और गांवों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी ईसाईयों में हैं, जबकि हिंदू और सिखों में अपेक्षाकृत कम बेरोजगारी है। जुलाई 2011 से जून 2012 के नेशनल सैंपल सर्वे के 68वें दौर के सर्वे पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, धार्मिक समुदाय में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी दर सर्वाधिक ईसाईयों में है। ग्रामीण क्षेत्र में जहां यह 4.5 फीसदी है वहीं शहरी इलाकों में यह 5.9 फीसदी है। सिखों के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम 1.3 फीसदी और हिंदुओं में शहरी क्षेत्रों में सबसे कम 3.3 फीसदी है।
सबसे कम बेरोजगार सिख और हिंदु
भारत में बड़े धार्मिक समूह में रोजगार एवं बेरोजगारी की स्थिति शीर्षक से जारी अध्ययन के अनुसार विशिष्ट धार्मिक समुदाय में ग्रामीण क्षेत्रों में पुरूषों के मामले में कुल आबादी में कर्मचारी अनुपात (डब्ल्यूपीआर) सिखों में सर्वाधिक 56.9 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में हिंदुओं में यह सर्वाधिक 55 फीसदी है। महिलाओं के मामले में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यह अनुपात सर्वाधिक ईसाई (ग्रामीण क्षेत्र में 28.4 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र में 25.2 प्रतिशत) समुदाय में है।
महिला-पुरूष दोनों मामले में पिछड़े मुसलमान
महिला और पुरूष दोनों के मामलों में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में डब्ल्यूपीआर मुसलमानों में सबसे कम (ग्रामीण पुरूषों के मामले में 49.9 फीसदी, ग्रामीण महिलाओं में 15.3 फीसदी), शहरी पुरूषों के मामले में 53.2 फीसदी और शहरी महिलाओं के मामले में 10.5 फीसदी) है। रिपोर्ट के मुताबिक पुरूषों के मामले में श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में सिखों के लिये सर्वाधिक (ग्रामीण क्षेत्रों में 57.6 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 56.8 फीसदी) है।
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