बीजिंग। मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक बुलट ट्रेन शुरू करने और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए दुनिया की दो आर्थिक शक्तियों जापान और चीन के बीच होड़ शुरू हो गई है। दोनों देश भारत में बुलट ट्रेन और दूसरे प्रोजेक्ट के लिए कर्ज और टेक्नोलॉजी देने को तैयार हैं। हालांकि सरकार का मानना है कि चीन के मुकाबले कम ब्याज दरों के चलते जापान भारत के अधिक करीब आ रहा है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि चीन को अपने लोन को आकर्षक बनाना चाहिए। जापान, चीन के मुकाबले सस्ता लोन देने को तैयार है। चीन भारत में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए जरूरी स्ट्रक्चर तैयार करने के मामले में जापान से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। ऐसे में उसे जापान को पीछे छोड़ना है तो लोन सस्ते रेट पर देना होगा।
बुलेट ट्रेन के लिए चीन और जापान आमने-सामने
जापान इस समय मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने पर संभाव्यवता अध्ययन कर रहा है जबकि चीन चेन्नई और नयी दिल्ली के बीच ऐसी प्रणाली की संभावना का अध्ययन कर रहा है। पनगढि़या ने कहा, आखिरकार हमें तेज गति वाली ट्रेन की जरूरत तो होगी ही। हमें इसमें वित्तीय तंगी का सामना करना पड़ रहा है। जमीन की भी समस्या है, जिसे हम दूर करेंगे और इस समस्या का हल हो सकता है। उसकी मुझे ज्यादा चिंता नहीं है। वित्त महत्वपूर्ण है। यदि हमें सीमित पैसा ही मिल पाता है तो फिर हमें तेज गति की रेल का इस्तेमाल बढ़ाने और मौजूदा रेलनेटवर्क में विद्युतीकरण का विस्तार करना होगा।
चीन के मुकबाले जापान का लोन सस्ता
पनगढि़या ने कहा कि चीन को अपना कर्ज अधिक आकर्षक बनाना चाहिए। चीन, भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बुलेट ट्रेन चलाने सहित कई बड़ी परियोजनाओं में बड़ा निवेश करने के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, तेज गति की रेल गाड़ी काफी खर्चीली योजना है। ऐसे में चीन की ओर से फाइनेंसिंग का प्रस्ताव महत्वपूर्ण होगा। दूसरी तरफ जापान बहुत आकर्षक शर्तों पर फाइनेंस करने को तैयार है। पनगढ़िया ने कहा, वह 40 साल के लिए लोन देने की पेशकश रहे हैं जिसमें 10 साल तक कोई भुगतान नहीं करना होगा और उसके बाद 0.3 फीसदी सालाना दर पर इसे लौटाना होगा। इस प्रकार यह काफी सस्ता कर्ज है। चीन इसके आसपास कोई पेशकश नहीं कर रहा है। ऐसे में चीन की पेशकश और जापान की पेशकश में काफी बड़ा अंतर है।
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