बीजिंग। भारत की पहली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भले ही जापान के पास गई हो लेकिन चीन देश के दूसरे मार्गों पर हाई-स्पीड रेलवे के निर्माण के अनुबंध को लेकर दक्षिण एशियाई देश को लुभा रहा है। चीन का दावा है कि उसके पास टेक्नोलॉजी और एक्सपर्ट्स हैं जिससे लोगों के लिए बड़ी मात्रा में आर्थिक और सामाजिक लाभ लाया जा सकता है। हाई-स्पीड रेलवे नेटवर्क के गठन पर लागत को लेकर उठाए जा रहे सवाल के बारे में चीन ने स्वयं का उदाहरण दिया और कहा कि वह अब इससे मुनाफा कमा रहा है।
चाइना रेलवे कॉरपोरेशन के वरिष्ठ इंजीनियर (वायस जनरल इंजीनियर) झाओ गुओतांग ने भारत और कुछ आसियान देशों से चीन के रेल मुख्यालय आए पत्रकारों से कहा, अपने हाई-स्पीड ट्रेन को दूसरे देशों में पेश करने या बढ़ावा देने का कारण हमारा अपनी टेक्नोलॉजी को लेकर विश्वास है। दूसरा आबादी के संदर्भ में दक्षिण एशियाई देशों से हमारा बहुत कुछ मिलता है और हम विकासशील देश हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने अनुभव इन देशों के साथ साझा करने में खुशी होगी।
उप मंत्री का दर्जा प्राप्त झाओ ने यह भी कहा कि उच्च गति के रेलवे का निर्माण और परिचालन आर्थिक रूप से मजबूत है। इससे पहले, भारत ने मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर बुलेट ट्रेन के लिये जापान का चयन किया। गौरतलब है कि लोन के शर्तों को लेकर भारत की पहली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के पास टला गया है।
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