Coal crunch: चीन की तरह भारत में भी पैदा हो सकता है बिजली संकट, बिजली संयंत्रों के पास नहीं बचा है कोयला भंडार
17 बिजली संयंत्र ऐसे हैं जिनके पास शून्य कोयला भंडार है, जबकि 22,550 मेगावॉट क्षमता के 20 पावर प्लांट्स के पास एक दिन का कोयला भंडार शेष है।
नई दिल्ली। चीन की तरह भारत में भी बिजली संकट पैदा होने की आशंका तेजी से बढ़ रही है। त्योहारी सीजन से पहले देश में कोयला संकट खड़ा हो गया है जो निरंतर बढ़ता जा रहा है। भारत में उत्पादित होने वाली कुल बिजली में 70 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से पैदा होती है।
कोयला खदानों से दूर स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है। कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों को नॉन-पिटहेड कहते हैं। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 25 ऐसे बिजली संयंत्रों में तीन अक्टूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था। कम से कम 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है। सीईए 135 बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है।
कुल मिलाकर तीन अक्टूबर को 135 संयंत्रों में कुल 78,09,200 टन कोयले का भंडार था, और यह चार दिन के लिए पर्याप्त है। रिपोर्ट में बताया गया कि 135 संयंत्रों में से किसी के भी पास आठ या अधिक दिनों का कोयले का भंडार नहीं था। 165गीगावॉट स्थापित क्षमता के साथ 135 बिजली संयंत्रों को दैनिक आधार पर 18,24,100 टन कोयले की आवश्यकता होती है। 135 संयंत्रों में से किसी के पास भी आठ दिन या इससे अधिक का कोयला भंडार मौजूद नहीं है।
7 संयंत्रों के लिए अति गंभीर अलर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक 7 नॉन-पिटहेड बिजली संयंत्रों (जहां कोयला खदान 1500 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है) के पास पांच से कम अवधि का कोयला भंडार है और इन्हें अति गंभीर अलर्ट पर रखा गया है। वहीं एक संयंत्र के पास नौ दिन से कम का कोयला भंडार है और इसे गंभीर अलर्ट पर रखा गया है। पिटहेड पावर प्लांट्स में से तीन के पास तीन दिन से कम का कोयला भंडार है और इन्हें अति गंभीर अलर्ट पर रखा गया है। 7 संयंत्रों के पास पांच दिन से कम का कोयला भंडार बचा है और इन्हें गंभीर अलर्ट पर रखा गया है।
17 संयंत्रों के पास नहीं है कोयला भंडार
रिपोर्ट के मुताबिक 17 बिजली संयंत्र ऐसे हैं – इनकी संयुक्त स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 21,325 मेगावॉट है- जिनके पास शून्य कोयला भंडार है, जबकि 22,550 मेगावॉट क्षमता के 20 पावर प्लांट्स के पास एक दिन का कोयला भंडार शेष है।
अगले 2-3 दिन में बढ़ जाएगी कोयले की आपूर्ति
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक थर्मल पावर प्लांट्स में कोयला भंडार की स्थिति अगले दो-तीन में सुधर जाएगी। कोल इंडिया के अधिकारी ने बताया कि कंपनी पावर प्लांट्स को आपूर्ति बढ़ाने के प्रयास कर रही है और अगले कुछ दिनों में हम 15 लाख टन प्रतिदिन की आपूर्ति करेंगे, जो वर्तमान में 14 लाख टन प्रतिदिन है। उन्होंने कहा कि पावर प्लांट्स ने पिछले साल अक्टूबर से इस साल फरवरी तक कोल इंडिया से कोयला नहीं लिया है। पावर प्लांट्स अपने कोयला भंडार का इस्तेमाल करते रहे और पर्याप्त रूप से प्रबंधन नहीं किया। यहां तक कि उन्होंने 22 दिन का कोयला भंडार रखने के सीईए के दिशा-निर्देशों का भी पालन नहीं किया। बिजली की मांग बढ़ने से कोयले की मांग भी बढ़ गई।
अगस्त में बढ़ना शुरू हुई बिजली की मांग
अक्टूबर में त्योहारी सीजन शुरू होता है और त्योहारी सीजन की मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में अन्य महीनों की तुलना में अगस्त-सितंबर में अधिक उत्पादन होता है। बिजली मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अगस्त, 2021 से बिजली की मांग में इजाफा होना शुरू हुआ। बयान के मुताबिक अगस्त, 2021 में बिजली उपभोग 124 अरब यूनिट रहा, जबकि अगस्त 2019 में यह उपभोग 106 अरब यूनिट था। इस तरह बिजली मांग में 18-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मांग में वृद्धि है एक सकारात्मक संकेत
बिजली मांग में यह वृद्धि निरंतर बढ़ रही है। 4 अक्टूबर, 2021 को बिजली की मांग 174000 मेगावॉट थी, जो पिछले साल समान दिन की तुलना में 15000 मेगावॉट अधिक है। मांग में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है। यह बताती है कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो रही है।
2.8 करोड़ घरों में पहुंची बिजली
मंत्रालय ने कहा कि बिजली मांग में यह वृद्धि सौभाग्य योजना के तहत 2.8 करोड़ नए घर इलेक्ट्रिसिटी से जुड़े हैं और ये सभी नए उपभोक्ता पंखा, कूलर, टीवी जैसे उपकरण खरीद रहे हैं। इसके अलावा कोयला खदान वाले इलाकों में अगस्त और सितंबर के दौरान निरंतर बारिश होती रही, जिसकी वजह से इस अवधि के दौरान कोयला खदानों से कम कोयला निकाला गया।
कोयला आपूर्ति में हुआ सुधार
मंत्रालय ने बताया कि अब दोबारा कोयला आपूर्ति में तेजी लौट आई है। 4 अक्टूबर, 2021 को कुल 263 रैक आपूर्ति के लिए भेजे गए। इनकी संख्या 3 अक्टूबर, 2021 को भेजे गए कुल रैक से 15 अधिक है।
कैप्टिव खानों से कोयले की 50% बिक्री के लिए नियमों में संशोधन
सरकार ने कैप्टिव (खुद के इस्तेमाल) खानों से कोयले की 50 प्रतिशत बिक्री के लिए मंगलवार को नियमों में संशोधन किया। इस कदम से 50 करोड़ टन सालाना व्यस्त समय की क्षमता वाले 100 से अधिक कैप्टिव और लिग्नाइट ब्लॉकों को फायदा होगा। साथ ही इस कदम से सभी कोयला और लिग्नाइट खानों वाले राज्यों को भी लाभ होगा। कोयला मंत्रालय ने बयान में कहा कि मंत्रालय ने खनिज रियायत नियम, 1960 में संशोधन किया है। इसके तहत कोयला और लिग्नाइट के कैप्टिव ब्लॉकों से किसी एक वित्त वर्ष में कुल उत्पादन पर 50 प्रतिशत को बेचा जा सकता है। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। हालांकि, ऐसा करने से पहले संबद्ध कैप्टिव ब्लॉक मालिकों को उस खान से जुड़े संयंत्र की जरूरत को पूरा करना होगा।’’ इससे पहले इसी साल खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) संशोधन अधिनियम में संशोधन किया गया था। यह व्यवस्था सार्वजनिक और निजी खानों दोनों के लिए होगी। इस फैसले के बाद सरकार बाजार में अतिरिक्त कोयला उपलब्ध करा पाएगी।
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