चीन की वृद्धि दर बीते साल 2019 में 6.1 प्रतिशत रही, यह तीन दशक का सबसे निचला स्तर
पिछले साल चीन की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 6.1 प्रतिशत रही, जो कि पिछले तीन दशक में सबसे धीमी है।
नई दिल्ली। एशिया में केवल भारत की ही आर्थिक वृद्धि दर नहीं घट रही है बल्कि चीन की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में तीन दशक में सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ी है। घरेलू मांग के कमजोर होने और अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के चलते चीन की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के अनुसार, चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रही जो 1990 के बाद का सबसे खराब प्रदर्शन है।
एनबीएस के अनुसार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने 2019 की पहली तीन तिमाहियों में अपनी रफ्तार धीरे-धीरे खो दी थी और यह आखिरी के तीन महीनों में आकर छह प्रतिशत पर स्थिर हुई। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आयुक्त निंग चिझे ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था ने 2019 में वृद्धि की एक स्थिर रफ्तार को कायम रखा है। उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह बात भी ध्यान में रखना चाहिए कि वैश्विक स्तर पर भी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी है। निंग चिझे ने कहा कि अस्थिरता और जोखिम की कई वजहें हैं तथा अर्थव्यवस्था पर दबाव भी लगातार बढ़ रहा है।
नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने बताया कि यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का 1990 के बाद से सबसे खराब प्रदर्शन है। वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो मौजूदा समय में कई विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश आर्थिक सुस्ती का सामना कर रहे हैं। पिछले 29 साल यानी 1990 के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था में ये सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
यूएस-चीन व्यापार समझौते के एक दिन बाद आए नतीजे
बता दें कि, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने शुक्रवार को जीडीपी को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इससे पहले सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आंकड़ा एक वर्ष में आया था, जिसमें व्यापार युद्ध के परिणामस्वरूप चीनी अर्थव्यवस्था अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हुई थी। नया डेटा चीन और अमेरिका द्वारा बुधवार को लंबे समय से प्रतीक्षित पहले चरण के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद आए हैं, जिसमें दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार विवाद में कुछ संघर्ष विराम को चिह्नित किया गया है।