Unaffordable: होम लोन सस्ता होने के बाद भी लोग नहीं खरीद रहे घर, अगले छह महीने नहीं सुधरेंगे हालात
पिफक्की-फ्रेंक नाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि होम लोन सस्ता होने पर भी रिहायशी रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी का यह दौर अगले छह महीने और रहेगा।
नई दिल्ली। पिछले दो-तीन सालों से मंदी की मार झेल रही रियल एस्टेट इंडस्ट्री में जान फूंकने के लिए होम लोन सस्ता करने के साथ ही तमाम सरकारी प्रयासों का असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए सेंटीमेंट इंडेक्स पर फिक्की और नाइट फ्रेंक की ताजा रिपोर्ट तो कम से कम यही बयां कर ही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिहायशी रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी का यह दौर अगले छह महीने और रहेगा तथा घरों की कीमतें भी स्थिर रहेंगी। इसके विपरीत ऑफिस स्पेस रेंटल की बढ़ती मांग ने कमर्शियल रियल्टी इंडस्ट्री को अच्छा बूस्ट दिया है।
ब्याज दरें कम करने के साथ आरबीआई ने उठाए कई कदम
साल 2015 की शुरुआत से अब तक आरबीआई रेपो रेट में चार बार कटौती कर कुल 125 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है। इसके बाद देश के सभी सरकारी और निजी बैंकों ने सभी तरह के लोन में कटौती की है। देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक एसबीआई 9.50 फीसदी पर होम लोन प्रदान कर रहा है। बावजूद इसके रियल एस्टेट में मंदी के बादल नहीं छंट रहे हैं। इतना ही नहीं आरबीआई ने कुछ चुनिंदा होम लोन (75 लाख रुपए तक) पर रिस्क वेट को कम कर दिया है और 30 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) को भी घटा दिया है। जिससे बैंक होम लोन के लिए ज्यादा राशि दे सकें। आरबीआई ने अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत 30 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए एलटीवी अनुपात को बढ़ाकर 90 फीसदी तक कर दिया है। इससे पहले यह सुविधा 20 लाख रुपए मूल्य वाली प्रॉपर्टी के लिए ही उपलब्ध थी। 30 लाख रुपए से ज्यादा और 75 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए एलटीवी 80 फीसदी और 75 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी के लिए यह 75 फीसदी किया गया है। एलटीवी का यहां सीधा मतलब आपको मिलने वाली लोन राशि से है। यदि आप 30 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो अब बैंक आपको 90 फीसदी तक लोन दे सकेंगे और आपको कम डाउन पेमेंट की जरूरत होगी।
त्योहारी सीजन में भी नहीं बढ़ी मांग
फिक्की-नाइट फ्रेंक की रिपोर्ट के मुताबिक त्योहारी सीजन में भी रिहायशी रियल एस्टेट मार्केट में कोई ज्यादा सुधार नहीं आया है। जुलाई-सितंबर के लिए प्रतिभागियों का भविष्य में भरोसा घटकर 59 रहा है, जो जून-सितंबर 2014 में 71 था। वहीं, करेंट सेंटीमेंट स्कोर 48 है, जो लगातार दूसरी तिमाही में नकारात्मक बना हुआ है। जब यह स्कोर 50 होता है तो उसे सकारात्मक माना जाता है। नाइट फ्रेंक इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री और नेशनल डायरेक्टर समांतक दास ने कहा कि चालू त्योहारी सीजन से भी प्रमुख शहरों में रिहायशी सेक्टर में मांग को बढ़ावा देने में असफल रहा है। अधिकांश डेवलपर्स का मानना है कि अगले छह माह में रिहायशी सेक्टर में मांग नहीं आने वाली है और न ही यहां कोई नया प्रोजेक्ट लॉन्च होगा।
30 फीसदी घटी मांग
औद्योगिक संगठन एसोचैम ने भी 6 नवंबर को जारी अपने ताजा सर्वे में कहा है कि अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसे में कमी और परियोजनाओं में देरी की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में सुस्ती छाई हुई है। एसोचैम ने दिल्ली-एनसीआर में करीब 125 रियल एस्टेट डेवलपर्स पर यह सर्वे किया। इसमें यह तथ्य सामने निकलकर आया है कि इस बार प्रॉपर्टी की खरीद के लिए मांग में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। एसोचैम का कहना है कि कीमतों में हालांकि भारी गिरावट आई है, लेकिन अभी भी मकान महंगे हैं। रोहिणी, द्वारका, दक्षिण दिल्ली, नोएडा तथा गुड़गांव में प्रॉपर्टी के दाम पिछले दो साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी घटे हैं। बावजूद यहां घर खरीदने वाले ग्राहकों की कमी है।
नहीं बढ़ेंगी घरों की कीमतें
इस सर्वे में शामिल 82 फीसदी रियल एस्टेट डेवलपर्स का मानना है कि अगले छह माह तक रिहायशी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी। इनकी कीमतें या तो स्थिर बनी रहेंगी या इनमें और कमी आ सकती है। हालांकि कमर्शियल प्रॉपर्टी में डेवलपर्स को उम्मीद नजर आ रही है। 62 फीसदी डेवलपर्स का मानना है कि सीमित आपूर्ति की वजह से रेंटल डिमांड में सुधार आया है। 50 फीसदी डेवलपर्स का मानना है कि मार्च 2016 तक ऑफिस स्पेस रेंटल की मांग मजबूत हो जाएगी।