नई दिल्ली। चीनी मिलों द्वारा संभावित रूप से कम उत्पादन का अनुमान जताए जाने को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि वे लगातासर दूसरे वर्ष 2016-17 में 2.25 करोड़ टन के चीनी उत्पादन अनुमान को दोबारा जांच करें। आंकड़ों को पुख्ता करें कि उक्त आंकड़ा सही है अथवा नहीं। उत्पादन आंकड़ों विशेषकर गेहूं के मामले में कृषि उत्पादन के आंकड़ों के बारे में संदेहों के बीच राज्यों से कहा गया है कि वे संभावित चीनी उत्पादन की गणना के लिए केवल कृषि मंत्रालय के गन्ना उत्पादन के आंकड़ों पर निर्भर न करें।
कल चीनी उत्पादक राज्यों के साथ एक बैठक में केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों द्वारा जमा कराये गये चीनी उत्पादन अनुमान के आंकड़ों में कोई खास बदलाव नहीं देखा। उत्तर प्रदेश ने केवल अधिक उत्पादन होने का आंकड़ा दिया है। आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद मंत्रालय का मानना है कि विपणन वर्ष 2016-17 (अक्तूबर से सितंबर) में देश का कुल चीनी उत्पादन 2.25 करोड़ टन होने का अनुमान है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में अप्रैल- मई में मध्यवर्ष गन्ना फसल से संभावित चीनी उत्पादन आंकड़ों पर गौर करने के बाद ही उत्पादन के आंकड़ों को संशोधित किया जाएगा। सही नीतिगत फैसला लेने के लिए चीनी उत्पादन के वास्तविक तस्वीर को प्राप्त करने के लिए अधिकारी ने कहा, राज्यों को कहा गया है कि वे खेत के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए और चीनी उद्योग द्वारा रखे जाने वाले उपग्रहीय चित्रों की मदद लेकर अपनी ओर से संभावित गन्ना उत्पादन के आंकड़ों को दोबारा जांचे। उन्हें कहा गया है कि वे केवल कृषि मंत्रालय के गन्ना उत्पादन आंकड़ों पर ही भरोसा किये न बैठे रहें।
अधिकारी ने कहा कि राज्यों से कहा गया है कि वे राज्यों के औसत उत्पादन के आंकड़ों के बजाए मिलवार चीनी उत्पादन के आंकड़ों को संग्रहित करें ताकि इस बात को जांचा जा सके कि कहीं चीनी मिलें कम उत्पादन का आंकड़ा तो नहीं पेश कर रही हैं।
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