केंद्र को घाटे पर काबू पाने की जगह अधिक खर्च वाली नीतियों पर ध्यान देना चाहिए: अभिजीत बनर्जी
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी पश्चिम बंगाल के वैश्विक सलाहकार बोर्ड (जीएबी) के प्रमुख हैं।
नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार को घाटे पर काबू पाने की अधिक चिंता किए बिना यूरोप और अमेरिका जैसी अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तरह अधिक खर्च वाली नीतियों पर ध्यान देना चाहिए। बनर्जी पश्चिम बंगाल के वैश्विक सलाहकार बोर्ड (जीएबी) के प्रमुख हैं और राज्य सरकार को महामारी से संबंधित मुद्दों पर सलाह दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, सीधे देश की अर्थव्यवस्था की रिकवरी से संबंधित है, जो महामारी के कारण फिलहाल दबाव की स्थिति में है।
बनर्जी ने केंद्र द्वारा पिछले साल समय-समय पर उपकरों में बढ़ोतरी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘सरकार के सामने राजकोषीय समस्या है, और उसे खुलकर खर्च करने वाली नीतियों की तुलना में बजट को संतुलित करने पर अधिक भरोसा हो सकता है। सरकार अपने पास मौजूद एक उपाए का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है क्योंकि अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमे होने के चलते कर संग्रह की गति बरकरार नहीं रह सकी है। वह इसका इस्तेमाल बजट को संतुलित करने के लिए कर रही है।’’ उन्होंने आगे कहा कि लेकिन यह वह दिशा नहीं है, जो सरकार को लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सरकार को अधिक खुलकर खर्च करना चाहिए। मैंने यह कई बार कहा है। मुझे लगता है कि केंद्र सरकार वह करने के लिए तैयार नहीं है, जो अमेरिका या यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं कर रही हैं- नोट छापना और खर्च करना। और मुझे लगता है कि वर्तमान संदर्भ में यह एक बेहतर नीति होती।’’ बनर्जी ने हालांकि केंद्र की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार अब इस दिशा में बढ़ रही है।
सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये घाटे की चिंता छोड़ कर खर्च बढ़ाने पर अपना फोकस किया है। इसके साथ ही सरकार ने पीएसयू से भी अपने खर्च के लक्ष्य को तेज करने पर जोर देने को कहा है। अनुमान है कि सरकार के द्वारा खर्च बढ़ाने से अर्थव्यवस्था में गति देखने को मिलेगी और निजी क्षेत्र में आने वाले समय में इस गति में निवेश के साथ शामिल होंगे।
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