केंद्र का राज्यों को निर्देश, दवाओं की कीमतों और सप्लाई पर रखें कड़ी नजर
कोरोना पर गठित समिति के मुताबिक एपीआई का मौजूदा भंडार 2-3 महीने के लिए पर्याप्त
नई दिल्ली। केंद्र सरकार कोरोना वायरस के नए मामले देखते हुए सतर्क हो गई है। दवाओं की कलाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए केंद्र ने सबंधित पक्षों को दिशा निर्देश जारी किये हैं। केंद्र ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण , भारतीय औषधि महानियंत्रक और राज्य सरकारों से दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है।
केंद्र ने निर्देश दिया है कि दवाओं में उपयोग होने वाले महत्वपूर्ण रसायनों जैसे एपीआई तथा दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। साथ ही सरकार ने एनपीपीए, डीसीजीआई और राज्य सरकारों को मुख्य कच्चा माल और दवाओं की कालाबजारी, अवैध जमाखोरी, कृत्रिम तरीके से कमी पर लगाम लगाने को लेकर निर्देश भी जारी किया है। औषधि विभाग ने एक बयान में कहा कि एनपीपीए ने राज्य के मुख्य सचिवों और प्रधान सचिवों तथा राज्य औषधि नियंत्रकों को पत्र लिखकर अपने-अपने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में एपीआई और दवाओं के उत्पादन तथा उपलब्धता पर नजर रखने को कहा है। बयान के अनुसार औषधि कीमत नियामक ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि दवाओं की कीमत सीमा तथा मूल्यों में स्वीकार्य वृद्धि के संदर्भ में दवा आदेश, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हो।
इससे पहले, विभाग ने चीन में फैले कोरोना वायरस को देखते हुए औषधि सुरक्षा के मसले के समाधान को लेकर संयुक्त औषधि नियंत्रक ई रेड्डी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया की दवा बनाने के लिये एपीआई का मौजूदा भंडार संभवत: 2-3 महीनों के लिये पर्याप्त होगा। इसमें यह भी कहा कि औषधि सुरक्षा को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। बयान के अनुसार उपलब्ध सूचना के अनुसार औषधि के लिये कच्चे माल बनाने वाली ज्यादातर चीनी कंपनियों ने (हुबेई प्रांत को छोड़कर) आंशिक रूप से कामकाज शुरू कर दिया है और मार्च तक पूर्ण रूप से काम शुरू होने की उम्मीद है। चीन से एपीआई के निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं है। बयान के अनुसार चीनी कंपनियां भारत को निर्यात करने को लेकर इच्छुक हैं। हालांकि लॉजिस्टिक क्षेत्र ने अबतक कामकाज शुरू नहीं किया है।