नई दिल्ली। रेलवे द्वारा कोयला ढुलाई शुल्क में बढ़ोतरी से घरेलू सीमेंट उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा और इसे 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की चोट लग सकती है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में सीमेंट कंपनियां इस वृद्धि का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं। माल ढुलाई में आ रही कमी के मद्देनजर रेलवे ने पिछले सप्ताह कोयला ढुलाई दर को तर्कसंगत बनाते हुए लंबी दूरी की परिवहन दरों में कमी, वहीं छोटी दूरी की ढुलाई के लिए दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की। 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर कोयला चढ़ाने या उतारने के लिए रेलवे ने 110 रुपए प्रति टन का कोयला टर्मिनल अधिभार भी लगाया है।
नई दरों के अनुसार अब 497 किलोमीटर तक परिवहन के लिए कोयला ढुलाई की दर 712 रुपए प्रति टन होगी, जो अभी तक 702 रुपए है। इसी तरह 1,807 किलोमीटर तक परिवहन के लिए यह 2,138 रुपए प्रति टन होगी, जो अभी तक 2,348 रुपए प्रति टन है। सीमेंट विनिर्माता संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र चौकसी ने कहा कि इस कदम से उद्योग पर मुद्रास्फीति प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सीमेंट उत्पादन में कोयला प्रमुख कच्चा माल है। इसकी ढुलाई में औसतन 20 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिससे विनिर्माताओं के लिए उत्पादन लागत बढ़ेगी।
उन्होंने ने कहा कि बिजली उत्पादन की भी लागत बढ़ेगी, क्योंकि इसका उत्पादन भी कोयले पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि इससे उद्योग पर कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपए का प्रभाव पड़ेगा। चौकसी ने कहा कि मौजूदा स्थिति में सीमेंट विनिर्माता इस बोझ को खुद झेलने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में यदि सीमेंट कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो मुझे हैरानी नहीं होगी।
Latest Business News