शराब कंपनियों की गुटबंदी पर CCI का वार, UBL और कार्ल्सबर्ग सहित 11 पर 873 करोड़ रुपये का जुर्माना
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बीयर बनाने वाली तीन कंपनियां यूबीएल, एसएबी मिल्लर इंडिया लिमिटेड जिसका नाम अब एनहेयूजर बुश इन्बेव इंडिया लिमिटेड (एबी इनबेव) है
नयी दिल्ली। प्रतिस्पर्धा आयोग ने शुक्रवार को कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बीयर की बिक्री और आपूर्ति में गुटबंदी को लेकर यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड (यूबीएल), कार्ल्सबर्ग इंडिया और आल इंडिया ब्रुवर्स एसोसियेसन (एआईबीए) और 11 अन्य व्यक्तियों पर कुल 873 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। विस्तृत जांच के आदेश दिये जाने के चार साल बाद यह फैसला आया है जिसमें आयोग ने 231 पृष्ट के अपने आदेश में इन कंपनियों, संगठन और व्यक्तियों को भविष्य में गैर- प्रतिस्पर्धी व्यवहारों को छोड़ने और उनसे दूर रहने का निर्देश दिया है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बीयर बनाने वाली तीन कंपनियां यूबीएल, एसएबी मिल्लर इंडिया लिमिटेड जिसका नाम अब एनहेयूजर बुश इन्बेव इंडिया लिमिटेड (एबी इनबेव) है, और कार्ल्सबर्ग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अंतिम आदेश पारित किया है। नियामक ने एब इन्बेव पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जबकि अन्य पर कम जुर्माना लगाया गया है।
यूबीएल और कार्ल्सबर्ग इंडिया बीयर बाजार की बड़ी कंपनियां हैं, उन्होंने कहा है कि वह आदेश की समीक्षा कर रहीं हैं। आयोग ने आधारिक बयान में कहा, ‘‘ये कंपनियां देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बीयर की बिक्री और आपूर्ति में गुटबंदी (साठगांठ) जैसी गतिविधियों में लिप्त पाए गई हैं।’’
सीसीआई ने कहा कि आल इंडिया ब्रेुवर्स एसोसियेसन (एआईबीए) के मंच का भी दुरुपयोग किया गया और उसे इस तरह की साठगांठ को सुविधाजनक बनाने में सक्रिय रूप से शामिल पाया गया जो आयोग के नियमों का उल्लघंन है। बयान में कहा गया, ‘‘जुर्माने में कमी का लाभ देते हुए एबी इनबेव और उसके व्यक्तियों को 100 प्रतिशत लाभ दिया गया, यूबीएल और उसके व्यक्तियों को 40 प्रतिशत और सीआईपीएल और उसके व्यक्तियों को जुर्माने में 20 प्रतिशत की राहत दी गई।’’
नियामक ने यूबीएल और कार्ल्सबर्ग इंडिया पर क्रमश: लगभग 752 करोड़ रुपये और 121 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। वही एआईबीए और विभिन्न व्यक्तियों पर 6.
25 लाख रुपये से अधिक जुर्माना लगाया गया है। आयोग के मुताबिक इन कंपनियों द्वारा की गई गुटबंदी अवधि 2009 से कम से कम 10 अक्टूबर, 2018 तक मानी गई है। इसमें सीआईपीएल 2012 और एआईबीए 2013 में शामिल हुई। सभी तीन बीयर कंपनियों ने नियामक के समक्ष कम जुर्माने का आवेदन किया था।
आयोग के बयान के अनुसार 10 अक्टूबर, 2018 को सीसीआई की जांच शाखा महानिदेशक (डीजी) ने बीयर कंपनियों के परिसरों में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था। इस दौरान मिले सबूतों के आधार पर सीसीआई ने पाया कि तीनों कंपनियां बीयर के दामों में साठगांठ करने जैसी गतिविधियों में शामिल थीं, जो प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लघंन है। वही बीयर उद्योग की दो बड़ी कंपनियों यूबीएल और कार्ल्सबर्ग इंडिया ने आयोग द्वारा जुर्माना लगाये जाने पर कहा कि वे सीसीआई के आदेश की समीक्षा कर रहे हैं।
सभी क्षेत्रों में अनुचित व्यापार प्रथाओं पर नजर रखने वाले सीसीआई ने अक्टूबर, 2017 में अपनी जांच शाखा डीजी द्वारा इस मामले में विस्तृत जांच का आदेश दिया था। क्राउन बीयर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सबमिलर इंडिया लिमिटेड (दोनों का स्वामित्व अंतत: एब इन्बेव के पास) द्वारा यूबीएल, कार्ल्सबर्ग इंडिया और एआईबीए के खिलाफ जुलाई 2017 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 46 के तहत एक आवेदन दायर करने के बाद नियामक ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।