जयपुर। CBI ने फर्जी चैक, ऋण पत्र तथा LIC पॉलिसी का उपयोग कर 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के कथित घोटाला मामले में सिंडिकेट बैंक के पूर्व मुख्य प्रबंधक और चार अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। CBI की विशेष अदालत में सिंडिकेट बैंक की उदयपुर शाखा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक एस के गुप्ता, उनकी पत्नी ऊषा, चार्टर्ड एकाउंटेंट भरत बांब, जयपुर के कारोबारी शंकर खंडेलवाल तथा एनजीओ चलाने वाले विपुल कौशिक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया।
CBI ने कहा कि आरोपपत्र आपराधिक साजिश तथा धोखाधड़ी से संबद्ध भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दाखिल किया गया है। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि खंडेलवाल तथा बांब ने गुप्ता को फर्जी चेक डिस्काउंट के लिए देते थे। गुप्ता चेक का डिस्काउंट करके धन विभिन्न खातों में डाल देते थे, जबकि इसके लिए उनके पास जरूरी अधिकार नहीं थे। जांच में यह पाया गया कि कर्जों के एवज में एलआईसी की विभिन्न पॉलिसी गिरवी रखी गयी थीं, वे फर्जी थीं और उसे अलग-अलग मियाद तथा बीमा राशि के साथ विभिन्न नामों पर जारी किए गए थे।
सीबीआई ने इस संदर्भ में इस वर्ष मार्च में मामला दर्ज किया था। जांच एजेंसी ने इस मामले में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, जयपुर तथा उदयपुर में 10 स्थानों की तलाशी ली थी। घोटाला 2011-16 तक चलता रहा और ऑडिट में नोटिस में नहीं आया।
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