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GST को लेकर सरकार की तैयारियां तेज, CBEC का नाम बदलकर किया CBIC

सरकार ने GST पर तैयारियां तेज कर दी है। इसी के तहत सरकार ने इनडायरेक्ट टैक्सेज की सबसे बड़ी पॉलिसी मेकिंग बॉडी CBEC का नाम बदलकर (CBIC) कर दिया है।

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नई दिल्ली।  गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स  (GST) लागू करने का समय नजदीक आने लगा है। इसको लेकर सरकार ने तैयारियां तेज कर दी है। इसी के तहत सरकार ने इनडायरेक्ट टैक्सेज की सबसे बड़ी पॉलिसी मेकिंग बॉडी CBEC का नाम बदलकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (CBIC) कर दिया है। आपको बता दें कि सरकार जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करना चाहती है।
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CBEC का नाम होगा CBIC
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि
वैधानिक मंजूरी लेने के बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC) का नाम बदलकर CBIC किया जा रहा है।

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CBIC करेगी मॉनिटरिंग
  • GST लागू होने के बाद सीबीआईसी, सेंट्रल एक्साइज लेवी और कस्टम्स के कामकाज के अलावा अपने सभी फील्ड फॉर्मेशंस और डायरेक्टोरेट्स की निगरानी करेगा। साथ ही, सरकार के GST से संबंधित पॉलिसी निर्माण से संबंधित कामकाज में सहयोग भी करेगा।
 जीएसटी से कर चोरी पर लगेगी लगाम
  • इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म जीएसटी से कर चोरी पर लगाम करने की उम्मीद है, जिससे कमोडिटी सस्ती होंगी और भारत की जीडीपी ग्रोथ में 2 फीसदी का इजाफा होगा। जीएसटी में एक्साइज, सर्विस टैक्स, वैट और अन्य लोकल लेवीज समाहित हो जाएंगी।
 ऐसा होगा CBIC का स्वरूप
  • सीबीआईसी के 21 जोन, 15 सब कमिश्नरेट्स में 101 जीएसटी टैक्सपेयर सर्विसेज कमिश्नर, 768 डिवीजन, 3969 रेंज, 49 ऑडिट कमिश्नरेट्स और 50 अपील्स कमिश्नरेट्स होंगे। स्टेटमेंट में कहा गया, इससे इनडायरेक्ट टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन स्ट्रक्चर के माध्यम से पूरे भारत में तेज टैक्सपेयर सर्विसेज सुनिश्चित होंगी।

एक देश और एक ही टैक्स

  • जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। अभी एक ही गुड्स के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। दरअसल इसकी वजह अलग-अलग राज्यों में लगने वाले टैक्स हैं। इसके लागू होने के बाद देश बहुत हद तक सिंगल मार्केट बन जाएगा।

जीसएटी लागू हो जाने के बाद लगेंगे तीन तरह के टैक्‍स

पहला:- सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी: इसे केंद्र सरकार वसूलेगी।
दूसरा:- एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी: इसे राज्य सरकार वसूलेगी।
तीसरा:- आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड जीएसटी: अगर कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर यह टैक्स लगेगा। इसे केंद्र सरकार वसूलकर दोनों राज्यों में बराबर बांट देगी।

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