बदल जाएगा देश के टैक्स विभाग का नाम, CBEC अब होगा CBIT
नेशनल टैक्स ड्राफ्ट लागू होने के बाद केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड यानी सीबीईसी (CBEC) का नाम अप्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीआईटी (सीबीआईटी) होगा।
नई दिल्ली। अगले साल एक अप्रैल से नेशनल टैक्स ड्राफ्ट लागू हो जाएगा। इसके बाद केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड यानी सीबीईसी (CBEC) का नाम अप्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीआईटी (सीबीआईटी) होगा। दरअसल, केंद्र ने जीएसटी संगठनात्मक ढांचा तैयार किया है, जिसमें इसका जिक्र है।
एक अप्रैल से लागू होगा जीएसटी
– कैबिनेट की बैठक के बाद रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि जीएसटी लागू करने को लेकर हम अभी समय से चल रहे हैं।
– अढिया ने कहा, ‘‘हमें पूरा भरोसा है कि जीएसटी अपनी तय समय-सीमा 1 अप्रैल 2017 से लागू हो जाएगा।’’
– कैबिनेट ने जीएसटी सेक्रेटेरिएट के कॉन्सिट्यूशन और अफसर, जो काउंसिल के फैसले को लागू कराएंगे, पर भी फैसला किया है।
क्या करेगी काउंसिल?
– जीएसटी काउंसिल मुख्य रूप से जीएसटी की दरों पर फैसला करेगी।
– जीएसटी टैक्स रेट, एक्जम्शन और इसकी लिमिट तय करेगी।
– काउंसिल जीएसटी के दायरे में वाले वाले और इससे बाहर रखी जाने वाले सर्विसेज और गुड्स का निर्धारण करेगी।
– काउंसिल टैक्स की वसूली की सीमा पर भी फैसला करेगी।
– नवंबर तक काउंसिल जीएसटी से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान निकाल देगी।
– जीएसटी काउंसिल का गठन संविधान संशोधन की धारा 279A के तहत किया जाएगा।
इस तरह होगा जीएसटी काउंसिल का सेक्रेटेरिएट
– रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया को जीएसटी काउंसिल का एक्स–ऑफिसो सेक्रेटरी अप्वाइंट किया गया है।
– जीएसटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट का ऑफिस नई दिल्ली में बनाया जाएगा।
– जीएसटी काउंसिल की सभी प्रक्रियाओं में सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स के चेयरमैन पर्मानेंट इन्वाइटी (नॉन-वोटिंग) के रूप में शामिल होंगे।
– जीएसटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट में एक एडिशनल सेक्रेटरी होगा। यह केंद्र सरकार के एडिशन सेक्रेटरी की रैंक का होगा। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल में ज्वाइंट सेक्रेटरी रैंक के चार पद कमिशनर के होंगे।
अरुण जेटली होंगे काउंसिल के प्रमुख
– यूनियन फाइनेंस मिनिस्टर जीएसटी काउंसिल के हेड होंगे। इसमें एक स्टेट फाइनेंस मिनिस्टर भी शामिल होंगे। इसके अलावा राज्यों के फाइनेंस मिनिस्टर काउंसिल के मेम्बर होंगे।
– प्रेसिडेंट की मंजूरी के बाद जीएसटी कान्स्टीट्यूशन अमेंडमेंट बिल अब कानून बन गया है। 20 राज्यों की असेंबलीज पहले ही इसे मंजूरी दे चुकी थीं, जो जीएसटी बिल के लिए एक अहम शर्त थी।
– जेटली पहले ही कह चुके हैं कि जीएसटी काउंसिल‘पेंडिंग इश्यूज’ को देखेगी।
– जेटली ने कहा था, “हमारे पास ऐसा करने के लिए सितंबर, अक्टूबर और नवंबर हैं। इसलिए हमें अभी इस पर काफी काम करना है। अगर सभी इश्यूज दूर कर लिए गए तो हम कुछ बदलाव के साथ ही पार्लियामेंट के विंटर सेशन में इसे लाएंगे।’
एक देश और एक ही टैक्स
– जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। अभी एक ही गुड्स के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। दरअसल इसकी वजह अलग-अलग राज्यों में लगने वाले टैक्स हैं। इसके लागू होने के बाद देश बहुत हद तक सिंगल मार्केट बन जाएगा।
जीसएटी लागू हो जाने के बाद लगेंगे तीन तरह के टैक्स
पहला:- सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी: इसे केंद्र सरकार वसूलेगी।
दूसरा:- एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी: इसे राज्य सरकार वसूलेगी।
तीसरा:- आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड जीएसटी: अगर कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर यह टैक्स लगेगा। इसे केंद्र सरकार वसूलकर दोनों राज्यों में बराबर बांट देगी।