नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर भरने में चूक या गड़बड़ी के मामलों में कुछ जुर्माना या शुल्क चुकाकर उसे नियमित करने या कंपाउंडिग की प्रक्रिया के संबंधित नए दिशा-निर्देश दिए हैं, जिनसे अब मनी लांड्रिंग, आतंक के वित्तपोषण, भ्रष्टाचार, बेनामी संपत्ति रखने और विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने जैसे गंभीर मामलों में किसी व्यक्ति के लिए आयकर चोरी को लेकर राहत पाने के सभी दरवाजे बंद हो गए हैं।
ये दिशानिर्देश सोमवार से लागू हो गए हैं। कर विभाग के नीति बनाने वाले निकाय ने प्रत्यक्ष कर कानून के तहत मामलों के निपटान-2019 को लेकर 32 पृष्ठों के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों का क्रियान्वयन आयकर अधिनियम-1961 के तहत किया जाएगा।
नए दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि कर चोरी के मामलो में जुर्माना आदि चुकाकर निपटान अधिकार का मामला नहीं है। विभाग इस तरह की राहत कुछेक मामलों तक सीमित रख सकता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति के व्यवहार के लिए अपराध कितना बड़ा है यह देखा जाएगा। साथ ही इसमें प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर भी गौर किया जाएगा।
आयकर के परिप्रेक्ष्य में कम्पाउंडिंग के तात्पर्य है कि कर अधिकारी कर चोरी करने वाले व्यक्ति से बकाया कर और अधिभार के भुगतान के बाद अभियोजन दायर नहीं करेंगे। धारा 279 (2) के तहत इस तरह के मामलों का निपटान किया जाता है।
ताजा दिशा-निर्देश कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से राष्ट्रविरोधी या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है या फिर संबंधित व्यक्ति धन शोधन रोधक कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय, भ्रष्टाचार रोधक कानून के तहत सीबीआई, लोकपाल या लोकायुक्त या किसी अन्य केंद्रीय और राज्य एजेंसी मसलन पुलिस की जांच के घेरे में है तो उसे आयकर चोरी के मामले में जुर्माना, शुल्क आदि का भुगतान करने से राहत नहीं मिलेगी।
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