नई दिल्ली। कर विभाग (CBDT) ने विदेशों में जमा कराए गए कर का घरेलू कर देन दारी में लाभी हासिल करने के नियमों को आज अधिसूचित कर दिया है। इसके तहत कंपनियां विदेशों में दिए गए कर, अधिभार और उपकर पर देश के अंदर कर लाभ का दावा कर सकती है। इसका मकसद विदेश में आय कमाने वाली कंपनियों को राहत उपलब्ध कराना है। यह नियम एक अप्रैल 2017 से लागू किया गया है।
नए नियम इसके तहत करदाताओं को विदेशों में विवाद में फंसे कर का समाधान हो जाने के बाद उस पर कर लाभ का दावा करने की अनुमति देता है। इसमें न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) पर टैक्स लाभ भी शामिल है लेकिन ब्याज, शुल्क या जुर्माने के संदर्भ में यह लागू नहीं होगा। टैक्स-क्रेडिट या कर-लाभ का दावा करने के लिए करदाताओं को विवाद के समाधान तथा विदेश में करों के भुगतान का साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा। साथ ही उन्हें लिखित में देना होगा कि उस विदेशी कर के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रिफंड का दावा कोई नहीं किया जाएगा।
नानगिया एंड कंपनी के प्रबंध सहयोगी राकेश नानगिया ने कहा, नियम प्रगतिशील है और एफटीसी के दावे के संदर्भ में इस तरह की स्पष्टता तथा निश्चितता की जरूरत थी। करदाता अगर एफटीसी का दावा कर रहे हैं तो उन्हें फार्म 67 में संबंधित देश से आय के ब्योरे के साथ कर भुगतान के बारे में जानकारी देनी होगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एफटीसी के दावे के लिये करदाताओं को स्व-प्रमाणित ब्योरे देने की भी अनुमति दे दी है।
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