नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली गुल होने की बढ़ती घटनाओं के बीच दिल्ली सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों पर निशाना साधा। राज्य सरकार ने कहा कि कंपनियों को दंडित किया जाएगा और बिना सूचना के विद्युत कटौती पर उन्हें उपभोक्ताओं को मुआवजा देने को कहा जाएगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा है कि कंपनियां विद्युत कटौती के लिये स्थानीय गड़बड़ी की बात कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकतीं। उन्होंने रिलायंस एनर्जी और टीपीडीडीएल द्वारा संचालित दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों के विद्युत कटौती के लिये पूरी जिम्मेदारी उठाने पर जोर दिया है।
दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि दिल्ली में बिजली की कमी नहीं है और राज्य में 7,000 मेगावाट की मांग को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिजली गुल होने के मामले हालांकि 0.19 प्रतिशत ही हैं लेकिन इतनी कटौती भी स्वीकार्य नहीं है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को मंगलवार को बैठक के लिए बुलाया है। केजरीवाल ने कहा, हमने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) को निर्देश दिया है कि यदि किसी क्षेत्र में बिना सूचना के अनियमित बिजली कटौती होती है। उसे दो घंटे के भीतर ठीक नहीं किया जाता है तो फिर उस क्षेत्र के लोगों की क्षतिपूर्ति करनी होगी। यह नीति जल्द ही क्रियान्वित होगी ताकि उनकी जवाबदेही तय की जा सके।
जैन ने दिल्ली बिजली गुल होने के लिए रखरखाव की कमी और ढांचागत सुविधाओं में अपर्याप्त निवेश को मुख्य वजह बताया। उन्होंने कहा कि डीईआरसी को बिजली वितरण कंपनियों को दंडित करने के बारे में नीतिगत दिशानिर्देश दे दिये गये हैं और इस बारे में एक अधिसूचना जल्द ही जारी कर दी जाएगी। जैन ने बिजली कटौती की शिकायतों के आंकड़े जारी किए। इससे दिल्ली में बिजली संकट की स्थिति काफी कुछ स्पष्ट हो जाती है। उन्होंने बताया, 14 मई को बीएसईएस राजधानी प्रा. लिमिटेड – बीआरपीएल को 3,690 शिकायतें मिली जो कि 20 मई को 5,067 तक पहुंच गई।
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