नई दिल्ली। देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों से माल ढुलाई (माल चढ़ाना-उतारना) बीते वित्त वर्ष 2020-21 में 4.59 प्रतिशत घटकर 67.26 करोड़ टन रही। भारतीय बंदरगाह संघ (आईपीए) ने यह जानकारी दी। इन बंदरगाहों पर माल ढुलाई 2019-20 में 70.5 करोड़ टन रही थी। इससे पहले 2018-19 में यह 69.9 करोड़ टन और 2017-18 में 67.9 करोड़ टन रही थी।
बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्यमंत्री मनसुख मांडविया ने हाल में कहा था कि कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभाव की वजह से मार्च से प्रमुख बंदरगाहों पर ढुलाई पर प्रतिकूल असर पड़ा है। आईपीए के अनुसार बीते वित्त वर्ष में माल ढुलाई इससे पिछले साल की तुलना में 4.59 प्रतिशत घटी है। कोविड-19 महामारी की वजह से कंटेनर, कोयला और पेट्रोलियम, तेल, लुब्रिकेंट (पीओएल) की ढुलाई में उल्लेखनीय गिरावट आई है। आईपीए की रिपोर्ट के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में पारादीप और मोर्मुगाव को छोड़कर अन्य की ढुलाई में गिरावट आई। इस दौरान पारादीप बंदरगाह की ढुलाई 1.65 प्रतिशत बढ़कर 11.45 करोड़ टन और मोर्मुगाव की ढुलाई 37.06 प्रतिशत बढ़कर 2.19 करोड़ टन पर पहुंच गयी। वित्त वर्ष के दौरान कामराजार बंदरगाह की ढुलाई 18.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2.58 करोड़ टन रह गयी। वहीं इस अवधि में मुंबई और वी ओ चिदंबरनार बंदरगाहों की ढुलाई में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।
कोचिन, न्यू मेंगलूर और चेन्नई बंदरगाहों की ढुलाई करीब सात प्रतिशत घट गई। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) की ढुलाई में 5.32 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी तरह दीनदयाल बंदरगाह और कोलकाता बंदरगाह की ढुलाई चार प्रतिशत से अधिक घट गई। विशाखापत्तनम बंदरगाह की ढुलाई 3.96 प्रतिशत नीचे आई। देश की कुल माल ढुलाई में इन प्रमुख बंदरगाहों की हिस्सेदारी करीब 61 प्रतिशत है। मांग में बढ़त के साथ हीं कंटेनर की किल्लत की वजह से ही रिकवरी की कोशिशों को झटका लगा जिससे पूरे साल के प्रदर्शन पर असर देखने को मिला।
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