नई दिल्ली। दुनिया में सबसे ज्यादा कॉल-ड्रॉप की समस्या भारत में है, इस बात का खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई के नियम अनुसार कॉल ड्रॉप 2.0 फीसदी से अधिक स्वीकार्य नहीं है। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक देश में औसत दर इससे कहीं अधिक 4.73 फीसदी है। वहीं ग्लोबल स्टैंडर्ड 3.0 फीसदी है। सरकार की तमाम कोशिशों और दबाव के बावजूद कॉल-ड्रॉप की समस्या खत्म नहीं हो रा रही है।
स्पेक्ट्रम का अभाव और यूजर्स की अधिक संख्या जिम्मेदार
रेडमैंगो एनालिटिक्स के सर्वे अनुसार, अधिकतर कॉल ड्रॉप व्यवधान एवं अन्य गुणवत्ता संबंधित मुद्दों के कारण होता है। वहीं स्पेक्ट्रम का अभाव और यूजर्स की अधिक संख्या भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार है। नेटवर्क के अनुकूलतम उपयोग से कॉल ड्रॉप की समस्या में उल्लेखनीय कटौती हो सकती है।
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20 शहरों में कराए सर्वे में हुआ खुलासा
रेडमैंगो एनालिटिक्स द्वारा मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू और जम्मू समेत 20 शहरों में किए गए सर्वे में कॉल ड्रॉप की समस्या का पता चला है। खराब कवरेज वाले क्षेत्रों में कॉल ड्रॉप केवल 4.0 फीसदी है। सर्वे के मुताबिक 59.1 फीसदी कॉल ड्रॉप खराब क्वालिटी और 36.9 फीसदी नेटवर्क में गड़बड़ी के कारण होता है। खराब गुणवत्ता की वजह रेडियो सिग्नल में व्यवधान है जिसके कारण कॉल ड्रॉप हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में औसत कॉल ड्रॉप 4.73 फीसदी है जबकि ट्राई ने मानक 2.0 फीसदी तय किया है। वहीं ग्लोबल स्तर पर स्वीकार्य सीमा 3.0 फीसदी है।
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