नई दिल्ली। टेलीकॉम ऑपरेटर कॉल ड्रॉप पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुई हैं। टेलीकॉम रेगुलेटर द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में कॉल ड्रॉप के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। टेलीकॉम रेगुलेटर, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कॉल ड्रॉप रेट बढ़कर 24.59 फीसदी तक पहुंच गया है। जनवरी-मार्च में यह आंकड़ा 12.50 फीसदी रहा था। सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद कॉल ड्रॉप की संख्या बढ़ना चिंता की बात है।
2जी सर्विस में कॉल ड्रॉप सबसे ज्यादा
ट्राई ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में मोबाइल ऑपरेटरों की 2जी में अधिक 24.59 फीसदी और 3जी में 16.13 फीसदी कॉल ड्रॉप रेट रहा है। रेगुलेटर ने कहा कि यह जनवरी-मार्च तिमाही में क्रमश: 12.50 और 15.96 फीसदी रहा था। हालांकि, कुल मिलाकर कॉल ड्रॉप रेट 1.64 फीसदी पर बना हुआ है। ट्राई के मापदंडों के अनुसार, कॉल ड्रॉप दर 2 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए और बुरी तरह प्रभावित सेल के लिए यह 3 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। 2जी और 3जी सर्विस में कॉल ड्रॉप बेंचमार्क पर खरे नहीं उतरने वाली टेलीकॉम कंपनियों में एयरसेल, बीएसएनएल और टाटा टेलीसर्विसेज शामिल हैं।
टेलीकॉम कंपनियों की ग्रॉस रेवेन्यु 0.30 फीसदी घटा
ट्राई के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों की ग्रॉस रेवेन्यु अप्रैल-जून तिमाही में 0.30 फीसदी घटकर 65,030 करोड़ रुपए रहा है। इससे पिछली तिमाही में कंपनियों का रेवेन्यु 65,227 करोड़ रुपए रहा था। वहीं, एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यु 4.38 फीसदी बढ़कर 47,134 करोड़ रुपए पहुंच गया है। यह आंकड़ा जनवरी-मार्च तिमाही में 45,158 करोड़ रुपए रहा था। रेगुलेटर ने कहा जीएसएम सर्विस के लिए एवरेज रेवेन्यु पर यूजर 126 रुपए और सीडीएमए के लिए 107 रुपए रहा। जबकि टेलिफोन सब्स्क्राइबर की संख्या 99.64 करोड़ से बढ़कर जून तक 100.69 करोड़ पहुंच गई है। वहीं कुल इन्टरनेट सब्स्क्राइबर की संख्या बढ़कर 31.94 करोड़ हो गई है।
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