नई दिल्ली: ई-कामर्स के क्षेत्र में एफडीआई नीति पर 17 मार्च से शुरू होने वाली डीपीआईआईटी की परामर्श बैठकों और एफडीआई नीति को पारदर्शी और जि़म्मेदार बनाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के सकारात्मक ²ष्टिकोण की कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सराहना की है और आशा व्यक्त की है कि जल्द ही ई-कॉमर्स के नियमों को स़ख्त किया जाएगा।
कैट लगातार ई-कॉमर्स की अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा एफडीआई नीति और फेमा के उल्लंघन के खिलाफ लड़ रहा है। कैट ने दोहराया कि जिस तरह से अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा एफडीआई नीति और फेमा के खुलेआम उल्लंघनों का सिलसिला जारी है, उससे यह आभास मिलता है कि ऐसा करने के लिए इन कंपनियों को सरकार से प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) प्राप्त है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, "भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय में कार्यरत ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां हमारे देश को बनाना रिपब्लिक मान रही हैं और खुद ईस्ट इंडिया कंपनी के संस्करण की तरह बर्ताव कर रही हैं जो अब असहनीय हो रहा है। कैट को यह भी लगता है कि इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी कानूनन भी प्रतिरक्षा प्रदान की गई है, जो हमेशा अनजाने में हुई त्रुटि के लिए व्यापारियों पर नकेल कसने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।"
"यह भी पूरी तरह स्पष्ट है कि कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों ने मानदंडों को दरकिनार करते हुए 2018 में सरकार द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट नंबर 2 के प्रावधानों से बचने के मार्ग विकसित कर लिए हैं। हालांकि, यही कारण है कि अब प्रेस नोट नं 2 को नए प्रेस नोट द्वारा बदलने की तत्काल आवश्यकता है। ई-कामर्स के क्षेत्र में एफडीआई नीति के सभी खामियों को दूर करना बेहद जरूरी है।"
कैट ने विनिर्माण, खाद्य क्षेत्र में एफडीआई से संबंधित प्रावधानों पर भी चिंता व्यक्त की है। साथ ही कहा है कि इन विदेशी कंपनियों को खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में इन्वेंट्री-आधारित व्यवसाय करने के लिए एक बैक-डोर दी जा रही है जो अन्यथा मल्टी ब्रॉड रिटेल ट्रेड का समग्र रूप से एक प्रमुख भाग है और इस क्षेत्र में आता है। कैट ने ई-कॉमर्स के लिए एक रेगुलेटरी बॉडी के गठन की भी मांग की है जिससे भारतीय नीतियों और कानून का उल्लंघन नहीं किया जा सके।
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