नई दिल्ली। व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ई-कॉमर्स कंपनियों पर सस्ते दाम में माल बेचकर बाजार बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए सरकार से इनके लिए एक अलग नियामकीय प्राधिकरण बनाने की मांग की है। कैट ने इस संबंध में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर कहा है कि ई-कॉमर्स यानी ऑनलाइन खुदरा बिक्री मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियां खुले आम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति का उल्लंघन कर रही हैं और खुदरा बाजार को बिगाड़ रही हैं। कैट की यहां जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।
CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि इंटरनेट और मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग से ई-कॉमर्स भविष्य का बड़ा बाजार बनने जा रहा है, लेकिन इस बाजार को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए एक नियामकीय प्राधिकरण और समुचित नियम कानून का होना आवश्यक है ताकि ये कंपनियां अपनी मनमानी न कर सकें।
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CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि खुदरा व्यापारी किसी प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं है लेकिन इसके लिए सभी को बराबरी की सुविधाएं और समान कायदे कानून होने जरूरी हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों को विदेशी धन प्राइवेट इक्विटी अथवा उद्यम पूंजी कोष के जरिए प्राप्त होता है, जिस पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता, जबकि किसी अन्य स्रोत से धन लेने पर ब्याज देना पड़ता है। खंडेलवाल ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए नियामकीय प्राधिकरण होना जरूरी है क्योंकि डीआईपीपी ने स्पष्ट किया है कि वह केवल नीति बनाने का काम करता है, एफडीआई उल्लंघन का मामला फेमा कानून के तहत आता है, जो कि रिजर्व बैंक के अधीन आता है और प्रवर्तन निदेशालय उसकी जांच करता है।
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