नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि रेलवे की 400 से अधिक परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी से लागत में 1.07 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। संसद में पेश कैग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल प्रशासन के रिकॉर्ड में परियोजनाओं को पूरा होने की निर्धारित तिथि या तो तय ही नहीं है या उसका जिक्र नहीं है। जिन परियोजना के पूरा होने के लिए समय निर्धारित किया गया है, वहां प्रगति बहुत धीमी है।
इसमें आगे कहा गया है, अनुमानों को तय करने, मंजूरी में देरी और जमीन अधिग्रहण में विलंब से परियोजनाओं में देरी हुई है। परियोजनाओं के पूरा होने में देरी से लागत 1.07 लाख करोड़ रुपए बढ़ गई। इस तरह मौजूदा 442 परियोजनाओं पर कुल 1.86 लाख करोड़ रुपए के अरिक्त खर्च का अनुमान है। कैग ने कहा कि प्राथमिक आधार पर परियोजनाओं के निर्धारण में कमी पाई गई और कोष का पूरी तरह उपयोग नहीं किए जाने के कई मामले सामने आए हैं, जिससे परियोजनाओं की प्रगति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोष का आबंटन जरूरत के अनुपात में नहीं हुआ है।
कैग ने कहा कि 2009-14 के दौरान कोष की दिक्कतों को नजरअंदाज करते हुए पहले से स्वीकृत परियोजनाओं में 202 परियोजनाएं जोड़ दी गईं और इस कारण इस अवधि में केवल 67 परियोजनाएं पूरी हो पाईं। रिपोर्ट के अनुसार 75 परियोजनाओं पर 15 साल से अधिक समय से काम हो रहा है और उनमें से तीन परियोजनाएं 30 साल पुरानी हैं। वित्त मंत्रालय से बजटीय समर्थन के बावजूद राष्ट्रीय परियोजनाओं की प्रगति संतोषजनक नहीं है, जिससे समय और लागत बढ़ रही है।
दिल्ली में 89 फीसदी मध्यान्ह भोजन पोषण मानकों पर खरे नहीं
कैग ने कहा है कि राजधानी दिल्ली में 2010-14 के दौरान मध्यान्ह भोजन (मिडडे मील) के 89 फीसदी नमूने पोषण मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बारे में एजेंसी द्वारा किए गए परीक्षण में ज्यादातर मिडडे मील के नमूने पोषण मानकों से कम पाए गए। कैग ने कहा कि कम से कम नौ राज्यों के मामलों में तय पोषण नहीं पाया गया।
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