नई दिल्ली। देश के शीर्ष लेखा परीक्षक CAG ने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए आवंटित राशि में से काफी राशि बिना खर्च के रह जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस तरह की योजनाओं के लिए बजट तैयार करने की प्रक्रिया को नए सिरे से व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) द्वारा संसद में पेश रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया है कि विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित राशि में से संबद्ध मंत्रालयों ने काफी राशि लौटाई है जो कि खर्च नहीं हो पाई।
इस तरह की योजनाओं में निर्भया कोष, मेक इन इंडिया, राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष, वरिष्ठ नागिरक कल्याण कोष और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी कई योजनाएं हैं जिनके लिए आवंटित राशि पूरी तरह खर्च नहीं हो पाई और उसे लौटा दिया गया।
यह रिपोर्ट सरकार के 2016-17 खातों के विश्लेषण पर है। रिपोर्ट सरकार के विनियोग खातों और उनकी लेखापरीक्षा निष्कर्षों को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि CAG ने इस पर गौर किया कि विभिन्न मंत्रालयों, विभागों ने अनुदान, विनियोग के 12 विभिन्न मामलों में 1,90,270 करोड़ रुपए का जरूरत से ज्यादा आवंटन किया गया। यह आवंटन वर्ष 2016-17 के विनियोग अधिनियम में आवंटित राशि से अधिक किया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए आवंटित राशि में से काफी अधिक राशि (100 करोड़ रुपए से अधिक) को लौटाया गया। विभिन्न प्रकार के अनुदानों, विनियोग के तहत दी गई इस प्रकार की 2,28,640 करोड़ रुपए की राशि, इसमें वर्ष के दौरान अतिरिक्त अनुदान भी लिया गया जो कि अंतत: इस्तेमाल नहीं हुआ और वित्त वर्ष के आखिरी दिन उसे लौटा दिया गया।
CAG ने कहा है कि इस विसंगति को दूर करने के लिए शुरुआत में ही बजट तैयार करने की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की जरूरत है। इसके साथ ही बजट क्रियान्वयन की निगरानी प्रणाली को भी मजबूत किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, निर्भया योजना के तहत महिला और बाल विकास मंत्रालय को आवंटित 286.27 करोड़ रुपए की राशि में से केवल 41.09 करोड़ रुपए ही वितरित किए गए। इसमें 245.18 करोड़ रुपए बिना खर्च के ही रह गए। कई अन्य योजनाओं में भी पूरी राशि खर्च नहीं हो पाई।
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