नई दिल्ली। कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) ने खर्च की त्रुटिपूर्ण निगरानी के लिए केंद्र की खिंचाई की है। कैग का कहना है कि कुल 51,527 करोड़ रुपए के कुल खर्च से जुड़े 37,569 मामलों में पैसों का इस्तेमाल कहा किया गया है इसकी सही जानकारी सरकार ने नहीं ली है। कैग ने केंद्र सरकार के खातों पर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करते हुए कहा कि मंत्रालयों के लिए उपयोग प्रमाणपत्र (यूसी) एकमात्र व्यवस्था है जिससे वह यह सत्यापन कर सकते हैं कि जिस मकसद के लिये धन दिया गया, उसके लिए उपयोग किया गया या नहीं।
31 मार्च 2015 तक 37,569 यूसी बकाया
रिपोर्ट में कहा गया है, 26 मंत्रालयों के विभागों में 51,527.1 करोड़ रुपए के खर्च से जुड़े 37,569 यूसी 31 मार्च 2015 तक बकाया थे। यह निगरानी व्यवस्था और संबद्ध मंत्रालयों के विभागों में इसे प्राप्त करने की व्यवस्था की कमियों की ओर इशारा करता है। इसमें कहा गया है कि मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज और मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस द्वारा जारी ग्रांट पर खर्च के विस्तृत विश्लेषण से दोषपूर्ण निगरानी व्यवस्था का पता चलता है। इससे यह कतई पता नहीं चलता कि जो खर्च किया गया, वह गुणवत्तापूर्ण था।
सिर्फ 9.50 फीसदी पैसों की सही जानकारी
रिपोर्ट के अनुसार रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेस के तहत 1996-97 से 2014-15 के दौरान 5,783.49 करोड़ रुपए प्राप्त किए गए। इसमें केवल 549.16 करोड़ रुपए (9.50 प्रतिशत) का उपयोग उस मद में किया गया जिस मकसद से उपकर लगाया गया। कैग ने कहा कि अगर सरकार इसपर निगरानी नहीं रखेगी तो कैसे पता चल पाएगा की पैसा जिस मकसद के लिए दिया गया वह उसी के लिए खर्च हुए हैं।
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