केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक आज, चीनी उद्योग को 4,500 करोड़ का पैकेज देने पर होगा विचार
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा, बुधवार को गन्ना किसानों के उत्पादन सहायता को दोगुना से अधिक करने तथा चीनी का निर्यात करने वाली मिलों को परिवहन सब्सिडी देने के लिए कुल मिला कर 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज पर विचार किए जाने की संभावना है।
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा, बुधवार को गन्ना किसानों के उत्पादन सहायता को दोगुना से अधिक करने तथा चीनी का निर्यात करने वाली मिलों को परिवहन सब्सिडी देने के लिए कुल मिला कर 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज पर विचार किए जाने की संभावना है। पचास लाख टन अधिशेष चीनी के निर्यात के लिए चीनी मिलों को परिवहन सब्सिडी देने और किसानों के लिए उत्पादन सहायता को बढ़ाकर 13.88 रुपये प्रति क्विंटल करने के प्रस्ताव सरकार की योजना का हिस्सा है ताकि चीनी मिलों पर किसानों के 13,500 करोड़ रुपये से भी अधिक के बकाये अथवा दायित्व का खात्मा किया जा सके।
रिकॉर्ड 3.2 करोड़ टन चीनी का उत्पादन
जून में, सरकार ने नकदी संकट का सामना कर रहे चीनी उद्योग के लिए 8,500 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया था। चीनी उद्योग इस महीने के खत्म होने वाले चालू 2017-18 के विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 3.2 करोड़ टन चीनी उत्पादन के कारण चीनी के बहुतायत स्टाक की स्थिति का सामना कर रहा है। चीनी की 2.6 करोड़ टन की घरेलू मांग की तुलना में चीनी उत्पादन अगले विपणन वर्ष में 3.5 करोड़ टन तक बढ़ने की संभावना है।
50 लाख टन चीनी के निर्यात का प्रस्ताव
अगले महीने 1 अक्टूबर को चीनी का आरंभिक स्टॉक एक करोड़ टन होने का अनुमान है। सूत्रों के मुताबिक, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) बुधवार को खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार करेगा जिसके अंतर्गत 2018-19 के लिए किसानों के उत्पादन सब्सिडी को बढ़ाकर 13.88 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो चालू विपणन वर्ष में 5.5 रुपये ही है। इसके अलावा, मंत्रालय ने 50 लाख टन चीनी के अनिवार्य निर्यात का प्रस्ताव दिया है और परिवहन एवं रखरखाव के लिए 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देने की पेशकश की है क्योंकि वैश्विक कीमतें निर्यात के लिए असहनीय हैं। यह सब्सिडी बंदरगाहों से चीनी मिलों की दूरी पर आधारित होगी।
UP में चीनी मिलों पर सर्वाधिक गन्ना बकाया
सूत्रों ने कहा कि चीनी मिलों और गन्ना किसानों की मदद के लिए सरकार को इन उपायों के कारण करीब 4,500 करोड़ रुपये का खर्च बोझ वहन करना होगा। ये कदम चीनी मिलों को चीनी का निर्यात करने और गन्ना बकायों का भुगतान करने में सक्षम बनायेगा जो वर्तमान समय में 13,567 करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर सर्वाधिक गन्ना बकाया यानी किसानों को 9,817 करोड़ रुपये देने हैं। सरकार ने पिछले एक साल में नकदी संकट का सामना कर रहे चीनी मिलों के साथ-साथ गन्ना किसानों को राहत देने के लिए कई उपाय किए हैं। सबसे पहले, सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क को दोगुना कर 100 प्रतिशत कर दिया और फिर उस पर निर्यात शुल्क को खत्म कर दिया। इसने चीनी मिलों के लिए 20 लाख टन चीनी निर्यात करना भी अनिवार्य बना दिया, भले ही वैश्विक कीमतें कम थीं।
जून में दिया गया है 8500 करोड़ का पैकेज
बढ़ते गन्ना बकाया के साथ, जून में सरकार ने चीनी उद्योग के लिए 8,500 करोड़ रुपये पैकेज देने और बफर स्टॉक के निर्माण की घोषणा की। इस पैकेज में इथेनॉल क्षमता का निर्माण करने के लिए चीनी मिलों को 4,440 करोड़ रुपये का सस्ता रिण देना शामिल था। इसके लिए सरकार 1,332 करोड़ रुपये का ब्याज सहायता का बोझ उठायेगी। केंद्र ने चीनी मिलों को गन्ना पेराई के लिए 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता देने की घोषणा की जिससे उस पर 1,540 करोड़ रुपये का बोझ आयेगा। बफर स्टॉक, जो 30 लाख टन का होगा, के निर्माण के लिए 1,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
इथेनॉल की कीमत में 25 प्रतिशत की वृद्धि
चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये प्रति किलो तय की गई है। पिछले हफ्ते, सरकार ने अधिशेष चीनी उत्पादन को खपाने और तेल आयात को कम करने के लिए पेट्रोल में मिश्रण करने के लिए गन्ना के रस से सीधे उत्पादित इथेनॉल की कीमत में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को मंजूरी दे दी है। सीसीईए ने 47.13 रुपये की वर्तमान दर के मुकाबले 100 प्रतिशत गन्ना के रस से सीधे तैयार किए गए इथेनॉल का खरीद मूल्य बढ़ाकर 59.13 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। बी-भारी शीरे (जिसे इंटरमीडिएरी शीरा भी कहा जाता है) से उत्पादित इथेनॉल की कीमत मौजूदा 47.13 रुपये से बढ़ाकर 52.43 रुपये प्रति लीटर कर दी गई थी, लेकिन सी-भारी शीरे से उत्पादित इथेनॉल की कीमत मामूली रूप से घटाकर मौजूदा 43.70 रुपये से 43.46 रुपये कर दी गई।