Union Cabinet: कच्चे जूट का MSP बढ़कर हुआ 3950 रुपए क्विंटल, किसान मंडी के लिए भूमि की आवंटित
सरकार ने कहा है कि जूट के नए एमएसपी से किसानों को उत्पादन लागत का डेढगुना मूल्य मिलेगा।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2019-20 सत्र के लिए बढ़ाकर 3,950 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। पिछले सत्र में यह 3,700 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया था।
सरकार ने कहा है कि जूट के नए एमएसपी से किसानों को उत्पादन लागत का डेढगुना मूल्य मिलेगा। जूट के इस तय एमएसपी से (किसानों को) उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के 55.81 प्रतिशत के बराबर का प्रतिफल मिलेगा। कच्चे जूट का एमएसपी बढ़ने से किसानों को उचित न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित होगा तथा जूट की खेती में निवेश बढ़ने और इस तरह जूट के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद है।
किसान मंडी के लिए 1.61 एकड़ भूखंड आवंटित किया
मंत्रिमंडल ने किसान मंडी की स्थापना के लिए राष्ट्रीय राजधानी के अलीपुर में 1.61 एकड़ का भूखंड सरकारी संगठन लघु कृषक कृषि व्यवसाय समूह (एसएफएसी) को पट्टे पर देने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकारी स्वामित्व वाली दिल्ली दुग्ध योजना (डीएमएस) के मालिकाना हक वाले भूखंड को एसएफएसी को पट्टे पर दिया जाएगा। बयान में कहा गया है कि इस मंडी से कृषि उत्पाद संगठनों को लाभ होगा। उसमें कहा गया है कि यह पट्टा 10 सितंबर, 2014 से 30 साल तक यानी नौ सितंबर, 2044 तक के लिए होगा।
लघु उद्योग के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना विस्तार को मंजूरी
सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी तथा तकनीकी उन्नयन योजना को तीन साल बढ़ाने को मंजूरी दे दी। इस पर कुल 2,900 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। योजना को 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद तीन साल के लिये 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने को मंजूरी दी गई है।
योजना मांग आधारित होगी लेकिन इसका दायरा अधिक समावेशी होगा। यह एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन को सुगम, उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और निरंतर सुधार की संस्कृति को बढ़ावा देगा।
इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया की बिक्री में निजी कंपनियों को भी बोली लगाने की मिली मंजूरी
मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को परामर्श कंपनी इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लि. (ईपीआईएल) खरीदने के लिए बोली लगाने की अनुमति देने का फैसला किया है। सरकार ने 2017 में ईपीआईएल की रणनीतिक बिक्री का फैसला किया था। इसके लिए अक्टूबर 2017 में उसी तरीके का काम करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से ईपीआईएल में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली आमंत्रित की गई थी।
पूर्व में ईपीआईएल को सरकारी इकाई को बेचने का फैसला किया गया था क्योंकि कंपनी ओमान में रक्षा परियोजनाओं से जुड़ी थी। इसके लिए जरूरी था कि प्रबंधन नियंत्रण सरकार के पास बना रहे। चूंकि इस क्षेत्र में उसी तरीके के काम करने वाले केंद्रीय लोक उपक्रम ज्यादा नहीं है, ऐसे में निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ-साथ सरकारी कंपनियों को ईपीआईएल के रणनीतिक विनिवेश में शामिल होने की अनुमति देने का फैसला किया गया है।