नई दिल्ली। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल कंपनियों को अपनी वाणिज्यिक जरूरतों के आधार पर खुद की स्वतंत्र कच्चा तेल आयात पॉलिसी बनाने की छूट दे दी। इस कदम का मकसद परिचालन दक्षता में सुधार लाना है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) को परंपरागत रूप से तेल उत्पादक देशों की राष्ट्रीय कंपनियों से कच्चा तेल लेने की अनुमति रही है। सरकार ने 21 मई 2001 को सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरी कंपनियों को शीर्ष 10 विदेशी कंपनियों से तेल खरीदने की अनुमति दी।
उपभोक्ताओं को मिलेगा फायदा
लंबे समय से महसूस किया जा रहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को जिन कंपनियों से कच्चा तेल खरीदने की अनुमति है, उसकी सूची में विस्तार कर उसमें इटली की इनी जैसी दुनिया की प्रमुख कंपनी तथा रूसी कंपनियों को शामिल किये जाने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में सरकारी तेल कंपनियों को अपनी खुद की नीति बनाकर मौजूदा नीति को बदलने की मंजूरी दे दी गई। उन्होंने कहा, इससे कच्चे तेल की खरीद के लिए अधिक कुशल, लचीला और गतिशील नीति उपलब्ध होगी और अंतत: उपभोक्ताओं को लाभ होगा। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
कंपनियां आयात के लिए खुद बनाएगी नीतियां
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को कच्चे तेल के आयात के लिए अपनी खुद की नीति बनाने का अधिकार होगा। वह नीति सीवीसी के दिशानिर्देश के अनुरूप होगी तथा संबंधित निदेशक मंडल से उसकी मंजूरी लेनी होगी।
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