नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संघ शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों के वेतन और भत्तों में संशोधन की स्वीकृति दे दी है। इससे उप-राज्यपालों के वेतन और भत्ते भारत सरकार के सचिवों के बराबर हो जाएगा। मंत्रिमंडल ने संघ शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों के वेतन एवं भत्ते 1 जनवरी, 2016 से महंगाई भत्ता 4,000 रुपए प्रतिमाह की दर से सत्कार भत्ता और स्थानीय भत्तों को जोड़कर मिलने वाले 80,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर महंगाई भत्ता, 4000 रूपये की प्रतिमाह की दर से सत्कार भत्ता और भारत सरकार के सचिव रैंक अधिकारियों को मिलने वाले स्थानीय भत्तों के साथ 2,25,000 रुपए प्रतिमाह करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
आपको बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपए, उपराष्ट्रपति का 4 लाख रुपए और राज्यपाल का वेतन 3.5 लाख रुपए कर दिया गया है। पहले राष्ट्रपति को हर महीने डेढ़ लाख रुपए, उपराष्ट्रपति को 1 लाख 25 हजार रुपए और राज्यों के राज्यपालों को 1 लाख 10 हजार रुपए की सैलरी मिलती थी।
इस साल जनवरी में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का वेतन एक लाख रुपए से बढ़ाकर 2.80 लाख रुपए कर दिया गया। वहीं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का वेतन भी 90,000 रुपए से बढ़ा कर 2.50 लाख रुपए कर दिया गया है।
मार्च के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ न्यापालिका के जजों के वेतन में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी के सुझाव को हरी झंडी दे दी थी। यह 1 मई 2018 से लागू हो जाएगा। हालांकि, इन्हें एरियर का भुगतान 1 जनवरी 2016 से किया जाएगा और यह 20 जून 2018 तक मिलना है।
संघ शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों के वेतन एवं भत्ते भारत सरकार के सचिव रैंक के अधिकारियों के बराबर होते हैं। पिछली बार 1 जनवरी 2006 से संघ शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों के वेतन और भत्ते संशोधित किए गए थे। इस संशोधन के साथ उप-राज्यपालों के वेतन एवं भत्ते प्रतिमाह 26,000 रुपए (निर्धारित) से बढ़ाकर महंगाई भत्ता, 4,000 रुपए प्रतिमाह की दर से सत्कार भत्ता और स्थानीय भत्तों को जोड़कर 80,000 रुपए प्रतिमाह कर दिया गया था।
भारत सरकार के सचिव रैंक के अधिकारियों का वेतन 1 जनवरी 2016 से सीसीएस (संशोधित) वेतन नियम, 2016 के अनुसार 80,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 2,25,000 रुपए प्रतिमाह कर दिया गया है।
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