नई दिल्ली। सेंट्रल कैबिनेट ने राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुसार रियल एस्टेट (नियमन और विकास) विधेयक, 2015 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक को अब विचारार्थ और पारित कराने के लिए संसद में पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सेंट्रल कैबिनेट की बैठक में रियल एस्टेट इस विधेयक को मंजूरी दी गई। इस विधेयक में कई ऐसे प्रावधान है जो कि ग्राहकों के हित में है। अगर कोई बिल्डर धोखाधड़ी करता है तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है।
ग्राहकों को समय पर मिलेगी प्रॉपर्टी
इस विधेयक का उद्देश्य ग्राहकों के हितों की रक्षा, रियल इस्टेट लेन देन में निष्पक्ष व्यवहार को बढ़ावा देना और परियोजनाओं का समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है। बयान के अनुसार यह विधेयक समान नियामकीय माहौल उपलब्ध कराए ताकि विवादों का तुरंत निपटान और रियल एस्टेट क्षेत्र की उचित वृद्धि सुनिश्चित हो।
रियल एस्टेट सेक्टर पर बढ़ेगा भरोसा
सरकार ने कहा कि इस विधेयक से इक बार रियल एस्टेट सेक्टर पर उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा। इसके आने के बाद रियल एस्टेट में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। इससे ग्राहकों और बिल्डर दोनों का फायदा होगा। क्रेडाई के वीपी रोहित राज मोदी ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन विकास प्राधिकरणों और नगर निगमों को इस विधेयक में शामिल नहीं किया गया है, जो कि निराशाजनक है।
विधेयक की मुख्य विशेषताएं
- दोनों वाणिज्यिक और आवासीय रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए लागू
- राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में ‘रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी’ की स्थापना
- अथॉरिटी के पास रियल एस्टेट परियोजनाओं और रियल एस्टेट एजेंटों का पंजीकरण
- प्रमोटर के विवरण, परियोजना, लेआउट योजना, भूमि की स्थिति, अनुमोदन, रियल एस्टेट एजेंट, ठेकेदारों, वास्तुकार, संरचनात्मक इंजीनियर आदि के विवरण के साथ समझौतों सहित सभी पंजीकृत परियोजनाओं के अनिवार्य प्रकटीकरण
- परियोजना को समय पर पूरा और परियोजना के निर्माण की लागत को कवर करने के लिए, एक अलग से बैंक खाते में निर्धारित राशि की जमा करने का प्रावधान
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