नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में चिट फंड उद्योग के नियमन से संबंधित विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस विधेयक से पंजीकृत चिट फंड उद्योग का अनुपालन बोझ कम होगा और अंशधारकों के हितों का संरक्षण किया जा सकेगा।
जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2019 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद पंजीकृत चिट फंड उद्योग का नियामकीय बोझ कम करना और साथ ही अंशधारकों के हितों का संरक्षण करना है।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने इससे पहले चिट फंड उद्योग के नियमन के लिए 2018 में विधेयक पेश किया था लेकिन इसकी अवधि समाप्त हो गई थी। इस विधेयक को मार्च, 2018 में लोकसभा में पेश किया गया था और बाद में इसे जांच के लिए वित्त पर स्थायी समिति को भेजा गया था। संसदीय समिति ने सरकार को सुझाव दिया था कि वह इस विधेयक में अंशधारकों के लिए बीमा कवरेज को भी शामिल करे। समिति ने यह भी कहा था कि भारत जैसे विकासशील देश में आम जनता के लिए विभिन्न व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लघु अवधि का कर्ज जुटाना पुरानी समस्या है।
गैर-यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ी, खजाने पर बढ़ेगा 22,875 करोड़ रुपए का बोझ
सरकार ने किसानों को किफायती दर पर उर्वरक मुहैया कराने के लिए गैर-यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने की बुधवार को घोषणा की। इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान खजाने पर 22,875.50 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 2019-20 के लिए फॉस्फेट तथा पोटाश वाले उर्वरकों की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों को मंजूरी दी। इससे 2019-20 के दौरान राजकोष पर 22,875.50 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के लिए नाइट्रोजन पर 18.90 रुपए प्रति किलोग्राम, फॉस्फोरस पर 15.11 रुपए, पोटाश पर 11.12 रुपए तथा गंधक पर 3.56 रुपए प्रति किलोग्राम सब्सिडी तय की गई है। इससे उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। सरकार ने 2010 में एनबीएस कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
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