बैड बैंक के लिये 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की गारंटी को कैबिनेट की मंजूरी: वित्त मंत्री
NARCL के द्वारा जारी सिक्योरिटी रिसीट के लिये 30600 करोड़ की गारंटी को कैबिनेट ने मंजूरी दी
नई दिल्ली। भारतीय बैंकों की सबसे बड़ी चुनौती यानि एनपीए से निपटने की दिशा में सरकार ने सबसे अहम कदम बढ़ा दिया है। कैबिनेट ने 15 सितंबर को हुई बैठक में नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी यानि एनएआरसीएल के द्वारा जारी की जाने वाली सिक्योरिटी रिसीट की गारंटी के लिये 30600 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी है। बैड बैंक पर आज मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने इसकी जानकारी दी। इस कदम के साथ देश में बैड बैंक को स्थापित करने का रास्ता साफ हो गया है।
जानिये वित्त मंत्री ने क्या कहा
वित्त मंत्री ने कहा कि वैल्यूएशन के आधार पर एनपीए के लिये बैंक को 15 प्रतिशत नकद भुगतान किया जायेगा, वहीं 85 प्रतिशत हिस्सा सिक्योरिटी रिसीट के रूप में मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सिक्योरिटी रिसीट की वैल्यू्एशन को बनाये रखने के लिये सरकार को कदम उठाना था, इसलिये गारंटी को मंजूरी दी गयी है। दरअसल जब कोई बैंक फंसे हुए कर्ज को किसी एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी को बेचता है तो उसे रकम का 85 प्रतिशत हिस्सा सिक्योरिटी रिसीट के रूप में मिलता है। बैंक रिकवरी पूरी होने पर इस रिसीट को रिडीम करा सकता है। हालांकि रिकवरी में मुश्किलें आने पर एएमसी की सिक्योरिटी रिसीट की रेटिंग गिरने का खतरा बन जाता है। पिछले साल ही कोरोना संकट की वजह से 1 लाख करोड़ रुपये की सिक्योरिटी रिसीट पर रेटिंग डाउनग्रेड होने का खतरा बन गया था। निवेशकों का भरोसा बनाये रखने के लिये सरकार ने सिक्योरिटी रिसीट पर गारंटी को मंजूरी दी है, जिससे एनएआरसीएल द्वारा आने वाले समय में जारी इन रिसीट को बैंकों से फंसे कर्ज खरीदने में आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।
6 साल में 5 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी
वित्त मंत्री ने साथ ही जानकारी दी कि बीते 6 सालो में बैंक ने 5 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी कर ली है, इसमें से भी 3.1 लाख करोड़ रुपये मार्च 2018 के बाद रिकवर किये गये हैं। वित्त वर्ष 2022 के बजट में वित्त मंत्री ने भारतीय बैंकों के फंसे हुए कर्ज को टेकओवर करने के लिए एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी और एसेट मैनेजमेंट कंपनी स्थापित करने का ऐलान किया था। अब सरकार इसके गठन के लिये आगे बढ़ रही है, केनरा बैंक एनएआरसीएल का लीड स्पॉन्सर होगा और इसके पास 12 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, वहीं सरकारी बैंकों के पास एनएआरसीएल में कुल मिलाकर 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस कदम से बैंकों पर एनपीए का बोझ कम करने में मदद मिलेगी। भारतीय बैंकों को ग्रॉस एनपीए मार्च 2022 तक 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।