संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से हो सकता है शुरू, आर्थिक सर्वे भी आएगा उसी दिन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2020 को साल 2020-21 के लिए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आम बजट पेश कर सकती हैं। बजट सत्र अप्रैल तक चल सकता है।
नई दिल्ली। मंत्रालयों ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में शुरू होने वाले बजट सत्र की पहली छमाही के साथ ही अधिकारियों से संसद के सदस्यों (सांसदों) के संभावित सवालों के जवाब के लिए कमर कसने के लिए तैयार रहने को कहना शुरू कर दिया है। एक अधिकारी ने कहा, "इस माह के अंतिम हफ्ते से संसद का सत्र शुरू हो सकता है। मंत्रालय के विभिन्न वर्गो को एक एडवाइजरी दी गई है।"
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से जारी एक परिपत्र में अधिकारियों से कहा गया है कि उन विवादों और सवालों को तैयार करें, जिसे सांसदों द्वारा उठाया जा सकता है। राष्ट्रीय वाहक 'एयर इंडिया' और एयरपोर्ट एजेंसी 'एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया' (एएआई) को नियंत्रित करने वाले मंत्रालय को निजीकरण के आसपास के संभावित सवालों का जवाब देने पड़ सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2020 को साल 2020-21 के लिए मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आम बजट पेश कर सकती हैं। बजट सत्र अप्रैल तक चल सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2020 से शुरू होगा, जो 7 फरवरी 2020 तक चलेगा। बजट सत्र दो भागों में होगा, पहला वाला सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 7 फरवरी तक चलेगा तो वहीं दूसरा सत्र मार्च के दूसरे हफ्ते में शुरू हो सकता है।
जल्द नोटिफाई होंगी तारीखें
बताया जा रहा है कि आर्थिक सर्वे भी 31 जनवरी 2020 को आएगा। बजट सत्र की तारीख पर आखिरी फैसला कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स (सीसीपीए) की सिफारिशों पर लिया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली यह कमेटी जल्द सिफारिशें दे सकती हैं। उसके बाद सरकार तारीखें नोटिफाई करेगी। परम्परा के मुताबिक साल के पहले सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी। उस वक्त राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे। साथ ही साथ राष्ट्रपति कोविंद मोदी सरकार की योजनाओं का खाका भी पेश करेंगे।
मोदी सरकार ने फरवरी की शुरुआत में ही बजट पेश करने की परंपरा शुरू की थी। 2016 में रेल बजट को भी आम बजट में ही मर्ज कर दिया गया। मोदी सरकार से पहले बजट फरवरी के आखिर में पेश किया जाता था। इसे जल्द पेश करने के पीछे सरकार का तर्क है कि मंत्रालयों को नया वित्त वर्ष शुरू होते ही फंड मिल जाए, इससे उन्हें खर्च करने के लिए अधिक समय मिलता है। कंपनियों को भी कारोबारी और टैक्स से जुड़ी योजनाएं बनाने के लिए ज्यादा वक्त मिल जाता है।