नई दिल्ली। सरकार आगामी आम बजट में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों को दी जाने वाली राशि में अच्छीखासी वृद्धि कर सकती है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 2019 के आम चुनाव से पहले सरकार अपना राजनीतिक समर्थन मजबूत करना चाहती है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगला बजट किसान, ग्रामीण रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित होगा, जबकि वित्तीय विवेकपूर्ण रास्ते पर चलने के सभी प्रयास किए जा सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने गृह राज्य में हाल ही में संपन्न विधान सभा चुनाव में जीत हासिल की है, जहां सरकार को घटती कृषि आय और रोजगार की कमी जैसे आरोपों का सामना करना पड़ा है। 2018 में और 2019 की शुरुआत में आठ राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं, जबकि 2019 के मध्य में लोक सभा चुनाव भी होने हैं।
एक फरवरी 2018 को वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगे। वार्षिक कृषि विकास दर सितंबर तिमाही में घटकर 1.7 प्रतिशत रह गई, जबकि आर्थिक वृद्धि की दर इस दौरान 6.3 प्रतिशत दर्ज की गई। अधिकारी ने कहा कि सरकार किसानों के गुस्से को और नहीं बढ़ने देना चाहती है और वह आर्थिक वृद्धि को बूस्ट करने और कृषि क्षेत्र में और अधिक राशि निवेश करने की कोशिश करेगी। यह लोकलुभावन नहीं बल्कि व्यवाहरिक बजट होगा। जेटली ने संकेत देते हुए कहा था कि उनकी प्राथमिकता ग्रामीण और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अधिक राशि आवंटित करने पर होगी।
पीएम मोदी ने भी संकेत दिया है कि वह चुनाव अभियान में प्रवेश करने से पहले 7.5 से 8 प्रतिशत वार्षिक आर्थिक वृद्धि को हासिल करना चाहते हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इस साल कम उत्पादन की वजह से किसानों को विभिन्न फसलों के लिए अधिक एमएसपी दिया जा सकता है। टैक्स दरों में भी कुछ बदलाव किया जा सकता है, क्योंकि कॉरपोरेट जगत पहले ही टैक्स रेट में कटौती की मांग कर रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि अगले साल के बजट में ग्रामीण और कृषि मंत्रालय के आवंटन में कम से कम 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा परिवहन और रेल मंत्रालय को भी तकरीबन 1.5 लाख करोड़ रुपए की राशि आवंटित की जा सकती है। अधिकारियों ने कहा कि आगामी बजट पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेंगे।
Latest Business News