नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत आगामी आम बजट में कंपनी कर में कटौती और डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन दिए जाने सहित वित्त मंत्री अरूण जेटली से कई तरह के कदम उठाए जाने की उम्मीद कर रहा है। उद्योग जगत चाहता है कि वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में कॉरपोरेट आयकर दरों को कम और डिजिटल लेनदेन पर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। मुकदमेबाजी को कम करने के लिए मौलिक कदम उठाए जाएं और विवाद निपटान व्यवस्था को मजबूत किया जाए। इस साल पहली बार आम बजट एक फरवरी को पेश किया जा रहा है।
उद्योग जगत चाहता है कि सरकार बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करे, कर आधार व्यापक बनाने के उपाय करे और खपत बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर की दरों में भी कमी लाए।
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, पिछले साल से सरकार ने कॉरपोरेट कर की दरों को कम करना शुरू किया है। इसे 2020 तक 25 प्रतिशत पर लाया जाना है। हालांकि, इसकी प्रगति काफी धीमी है और सिर्फ कुछ ही कंपनियां इस नई कर व्यवस्था में आ पाईं हैं। हम चाहेंगे कि बजट में इस प्रक्रिया को तेज किया जाए। उन्होंने कहा, कर्ज पर ब्याज दरें कम होनीं चाहिए, आवास जैसे क्षेत्रों के लिए वित्तपोषण को सरल बनाया जाना चाहिए। इस तरह के कदमों से व्यावसायिक समुदाय में विश्वास बढ़ेगा और निवेश मांग को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
- पटेल ने कहा कि उपभोक्ता खर्च बढ़ाने तथा कर अनुपालन को प्रोत्साहन के लिए व्यक्तिगत आयकर की दरों में भी कमी लाई जानी चाहिए।
- खासतौर से नोटबंदी के बाद मांग एंव खपत में कुछ समय के लिये व्यावधान पैदा हुआ उसे देखते हुए इस तरह के कदम महत्वपूर्ण होंगे।
- वर्तमान में कंपनी कर की दर 30 प्रतिशत है, इसके उपर उपकर और अधिभार भी लगते हैं जिसे मिलाकर यह 34 प्रतिशत से अधिक बैठता है।
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