नई दिल्ली। नकदी संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने मौद्रीकरण के लिए देशभर में फैले भूखंडों को चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी के आंतरिक अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में इन भूखंडों का मूल्य 20,000 करोड़ रुपए था।
बीएसएनएल के कॉरपोरेट कार्यालय की ओर से भूखंडों की एक सूची जारी की गई है, जिनका मौद्रीकरण निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) के माध्यम से किया जाएगा। भूसंपत्तियों, मोबाइल टॉवर्स और फाइबर नेटवर्क का समयबद्ध मौद्रीकरण करने से बीएसएनएल को इस कठिन समय में कुछ धन प्राप्त हो सकता है। कंपनी के राजस्व में लगातार कमी आ रही है और घाटा बढ़ रहा है।
बीएसएनएल के कॉरपोरेट कार्यालय की ओर से इससे पहले सर्कलों को पत्र भेज कर राय मांगी गई थी। पत्र में कहा गया था कि देशभर में फैले भूखंड और अर्धनिर्मित बुनियादी ढांचों, भवनों और फैक्टरियों का क्षेत्रफल 32.77 लाख वर्गमीटर है और बचे हुए भूखंड का क्षेत्रफल 31.97 लाख वर्गमीटर है।
एक अप्रैल 2015 को बचे हुए भूखंड का मूल्य 17,397 करोड़ रुपए था और वर्तमान अनुमानित मूल्य 20,296 करोड़ रुपए है। मूल्य में वृद्धि लागत महंगाई सूचकांक के आधार पर तय की गई है, जोकि वित्त वर्ष 2014-15 में 240 था और 2018-19 में 280 हो गया।
मौद्रीकरण में शामिल भूखंडों की सूची में मुंबई, कोलकाता, गाजियाबाद और जबलपुर स्थित बीएसएनएल की फैक्टरियां, वायरलेस स्टेशन और अन्य दफ्तर व कर्मचारी आवास कॉलोनियां शामिल हैं। इनमें से कुछ भूखंडों का दाखिल खारिज हो चुका है, जबकि कुछ फ्रीहोल्ड व लीजहोल्ड हैं। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब के अनुसार, बीएसएनएल को वित्त वर्ष 2018-19 में 14,000 करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है, जबकि इसका राजस्व करीब 19,308 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
वेतन पर बीएसएनएल का खर्च कंपनी के कुल खर्च 1,44,888 करोड़ रुपए का 75 प्रतिशत रहने का अनुमान है। कंपनी का अस्थायी घाटा 2015-16 में 4,859 करोड़ रुपए, 2016-17 में 4,793 करोड़ रुपए और 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपए था। बीएसएनएल का घाटा 2018-19 में बढ़कर 14,202 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। सरकार बीएसएनएल और एमटीएनएल में सुधार लाने की योजना बना रही है।
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