ब्रेक्जिट पर अरुंधति भट्टाचार्य ने दिया बड़ा बयान, कहा- 'वैश्वीकरण के बीच एक कदम पीछे हटने जैसा'
भारत को ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ व्यापार से जुड़े मुद्दों पर नए सिरे से बातचीत करनी होगी। यह बात अरंधती भट्टाचार्य ने कही।
न्यूयार्क। भारत को ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ व्यापार से जुड़े मुद्दों पर नए सिरे से सोच-विचार और बातचीत करनी होगी। यह बात स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरंधती भट्टाचार्य ने कही। उन्होंने ब्रेक्जिट को वैश्वीकरण के बीच एक कदम पीछे हटने जैसा बताया। भट्टाचार्य ने न्यूयार्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के पूर्व मुख्य डिजिटल अधिकारी श्री श्रीनिवासन के साथ सीधे फेसबुक चैट के दौरान कहा, मेरा मानना है कि हमें वैश्वीकरण से अधिक फायदा होगा। ब्रेक्जिट इस लिहाज से एक कदम पीछे हटना है। आप एक दूसरे से जुड़े होने के बजाय पीछे हटकर अलग हो रहे हैं। सैद्वांतिक तौर पर भी यदि आप इसे देखें तो ब्रेक्जिट ऐसी चीज नहीं है जो कि दुनिया के लिये संभवत: अच्छी होगी। भट्टाचार्य शहर की यात्रा पर हैं और वह यहां निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों के साथ बैठक करेंगी।
ब्रेक्जिट के बाद भारतीय परिप्रेक्ष्य के लिहाज से भट्टाचार्य ने कहा, भारत को यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ व्यापारिक मुद्दों की नए सिरे से जांच परख और फिर से बातचीत करनी होगी। उनका मानना है कि यह भारत के लिये अच्छा भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है। विश्व के वित्तीय क्षेत्र में सबसे शक्शिाली और प्रभावी महिलाओं में शामिल भट्टाचार्य ने कहा कि ब्रेक्जिट अच्छी चीज नहीं है क्योंकि ज्यादा जुड़ी हुई और एक दूसरे की सहयोगी दुनिया सभी के लिए बेहतर होगी। उन्होंने कहा, मेरे ख्याल से हमारा कम समावेशी होना दुनिया के लिये अच्छा नहीं है।
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भट्टाचार्य ने कहा कि ब्रेक्जिट का स्टेट बैंक पर सीधे तौर पर कोई बड़ा असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बैंक की ब्रिटेन में 12 शाखाएं हैं जो विशेष किस्म के परिचालन से जुड़ी हैं। एक शाखा है कि जो थोक परिचालन करती है उसमें कुछ नरमी आ सकती है। भट्टाचार्य ने कहा कि ब्रेक्जिट का स्टेट बैंक के परिचालन पर बहुत थोड़ा असर होगा लेकिन ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का फैसला सही नहीं है। इससे पहले, पिछले महीने भट्टाचार्य ने कहा था कि ब्रेक्जिट भारत को यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में बेहतर बाजार पहुंच उपलब्ध कराएगा, हालांकि, इस दौरान बाजारों में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकता है।
भट्टाचार्य ने कहा था, जोखिम से दूर रहने की भावना के चलते वित्तीय बाजारों में गिरावट आएगी और दूसरे देशों के साथ ही भारत में भी इसका असर होगा। लेकिन जैसे जैसे व्यापार रणनीतियों पर काम होगा भारत के लिये यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में बेहतर बाजार पहुंच के तौर पर संभावित लाभ होंगे। ब्रिटेन में पिछले माह हुये जनमत संग्रह में जनता ने यूरोपीय संघ को छोड़ने का फैसला किया। ब्रिटेन ने 28 देशों के इस समूह को छोड़ने का फैसला किया। इससे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को इस्तीफे की घोषणा करने पर मजबूर होना पड़ा। दुनिया के बाजारों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई और ब्रिटेन के अलग होने के बाद आव्रजन और दूसरे मुद्दों को लेकर भी सवाल उठने लगे।
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