पुणे। नाम से ही दुश्मनों के पसीने छुड़ाने वाली विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अगले छह महीने में 75 प्रतिशत स्वदेशी हो जाएगा। अभी इसमें 65 प्रतिशत स्थानीय कल-पुर्जों का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर मिश्रा ने एलएंडटी डिफेंस द्वारा निर्मित क्वैड लांचर को समर्पित करने के समारोह में सप्ताहांत पर कहा कि अभी ब्रह्मोस में 65 प्रतिशत कल-पुर्जे भारतीय हैं। हमने महज 10-12 प्रतिशत स्वदेशी उपकरणों से शुरुआत की थी और आज 65 प्रतिशत पर पहुंच गए हैं। अगले छह महीने में हम 75 प्रतिशत के करीब रहेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले मार्च में हमने स्वदेशी सीकर का उड़ान परीक्षण किया और दो महीने में स्वदेशी बूस्टर का परीक्षण किया जाएगा। इससे ब्रह्मोस 85 प्रतिशत स्वदेशी हो जाएगा। मिश्रा ने क्वैड लांचर के बारे में कहा कि इस स्मार्ट लांचर से एक साथ में आठ मिसाइल लांच करना संभव हो जाएगा। हमें नौसेना से अभी ठेका नहीं मिला है पर हमने काम शुरू कर दिया है। हमने प्रौद्योगिकी, ज्ञान और भविष्य के कारोबार में निवेश किया है। हम बस ठेके का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस लांचर को सिर्फ आईएनएस दिल्ली श्रेणी के जहाजों में ही नहीं बल्कि प्रणाली में मामूली बदलाव कर दुनिया के किसी भी जहाज में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यहां और वहां कुछ मामूली बदलाव के बाद जब हम ब्रह्मोस का निर्यात करेंगे जो कि हम जल्दी ही करना चाहते हैं, हम इसे विदेशी जहाजों में भी लगा रहे होंगे।
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