नई दिल्ली। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के निजीकरण के लिए सरकार को कई बोलिया प्राप्त हुई हैं। बोली देने की समय सीमा आज खत्म हो गई है। हालांकि बोली लगाने वालों में कोई बड़ा नाम जैसे रिलायंस इडस्ट्रीज , सउदी अरामको, बीपी और टोटल शामिल नहीं है। निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग यानि दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी को खऱीदने में कई कंपनियों ने अपनी इच्छा जताई है। वहीं वित्त मंत्री ने भी ट्वीट किया कि बीपीसीएल का रणनीतिक निवेश प्रक्रिया जारी है और कई कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई है जिसके बाद अब प्रक्रिया अगले दौर में पहुंच गई है। उनके मुताबिक अब इन बोलियों का आकलन किया जाएगा। फिलहाल इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि आखिर कितनी कंपनियों ने हिस्सा खरीदने की इच्छा जताई है और न ही किसी कंपनी का नाम जारी किया गया है। हालांकि सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक दौड़ में 3 से 4 नाम शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक बोलियों का आकलन करने में 2 से 3 हफ्ते लग सकते हैं, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया की शुरुआत होगी।
उद्योग सूत्रों ने पहले ही कहा था कि ऊंची कीमतों की वजह से दिग्गज कंपनियां बोली लगाने से पीछे हट सकती हैं। खास तौर पर ऐसे समय में जब दुनिया परंपरागत ईंधन से हट रही है, 10 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब की कीमत काफी अधिक है। इसके अलावा कोविड-19 महामारी ने पारंपरिक ईंधनों की मांग को घटाया है और हाइड्रोजन तथा बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ सकता है।
बीपीसीएल में सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी की कीमत 47 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की है। साथ ही अधिग्रहणकर्ता को जनता से 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश करनी होगी, जिसकी लागत 23 हजार करोड़ रुपये होगी। सूत्रों ने कहा कि बीपीसीएल सालाना लगभग 8,000 करोड़ रुपये का लाभ कमाती है और इस गति से निवेशक को बोली की 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूलने में 8-9 साल लगेंगे। इसी वजह से दिग्गज कंपनियां पीछे हटी हैं।
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