BPCL के लिए बोली लगाने की समय-सीमा 31 जुलाई तक बढ़ी, सरकार ने Covid-19 की वजह से लिया फैसला
भारत सरकार ने बीपीसीएल में अपनी पूरी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश का प्रस्ताव किया है, जिसमें 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर शामिल हैं,
नई दिल्ली। सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते देश की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए बोली की समय-सीमा को दूसरी बार बढ़ा दिया है। एक आधिकारिक नोटिस के अनुसार रुचि पत्र जमा करने की अंतिम तारीख एक महीने से अधिक बढ़ाकर 13 जून की जगह 31 जुलाई कर दी गई है।
बीपीसीएल के पास चार रिफाइनरी हैं, जो मुंबई (महाराष्ट्र), कोची (केरल), बीना (मध्य प्रदेश) और नुमालीगढ़ (असम) में स्थित हैं। इनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता 3.83 करोड़ टन प्रति वर्ष है। बीपीसीएल के पास देश में 15,177 पेट्रोप पंप और 6011 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसी हैं। कंपनी के पास 51 एलपीजी बॉटलिंग प्लांट भी हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में बीपीसीएल में सरकार की पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद सात मार्च को हिस्सेदारी खरीदने में रुचि रखने वालों से रुचि पत्र (ईओआई) मांगे गए थे। ईओआई जमा करने की अंतिम तिथि दो मई थी, लेकिन इसे बढ़ाकर 13 जून तक कर दिया गया। सरकार ने बुधवार को कहा कि इस समय-सीमा को आगे 31 जुलाई तक बढ़ाया जा रहा है।
निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने एक नोटिस में कहा कि इच्छुक बोलीदाताओं के अनुरोधों और कोविड-19 से पैदा हुईं मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) पर लिखित पूछताछ की अंतिम तिथि एक बार फिर 23 जून 2020 तक बढ़ाई गई है और ईओआई जमा करने की अंतिम तिथि को 31 जुलाई, 2020 तक बढ़ा दिया गया है।
भारत सरकार ने बीपीसीएल में अपनी पूरी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश का प्रस्ताव किया है, जिसमें 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर शामिल हैं, जो बीपीसीएल की इक्विटी शेयर पूंजी का 52.98 प्रतिशत हिस्सा है। इसके तहत रणनीतिक खरीदार को प्रबंधन नियंत्रण भी दिया जाएगा। हालांकि, इस बिक्री में बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड में 61.65 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल नहीं है।
नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड की हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की एक तेल और गैस कंपनी को बेची जाएगी। बोली दो चरणों में होगी, जिसके तहत पहले आईओआई चरण के योग्य बोलीदाताओं से दूसरी चरण में वित्तीय बोली लगाने के लिए कहा जाएगा। पेशकश दस्तावेज में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) इस बोली प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते हैं।