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Hindi News पैसा बिज़नेस धान खरीद पर रोक से नाराज भाजपा का फूटा गुस्‍सा, मुख्यमंत्री का पुतला फूंका

धान खरीद पर रोक से नाराज भाजपा का फूटा गुस्‍सा, मुख्यमंत्री का पुतला फूंका

झारखंड में किसानों से धान खरीद पर सरकार के रोक से नाराज मुख्य विपक्षी भाजपा ने पाकुड़ के विभिन्न मंडलों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला फूंका तथा राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की।

<p>APMC</p>- India TV Paisa Image Source : FILE PHOTO APMC

पाकुड़। झारखंड में किसानों से धान खरीद पर सरकार के रोक से नाराज मुख्य विपक्षी भाजपा ने पाकुड़ के विभिन्न मंडलों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला फूंका तथा राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। पाकुड़ जिला मुख्यालय में भाजपा जिलाध्यक्ष बलराम दूबे ने धान खरीद पर सरकार की रोक के खिलाफ प्रदर्शन और पुतला दहन का नेतृत्व किया। मौके पर मौजूद पाकुड़ के पूर्व भाजपा विधायक वेणी प्रसाद गुप्ता ने झारखंड सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके तुगलकी फरमान से राज्य के लाखों किसान आज खून के आंसू रो रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार के मनमाने फैसले व धान खरीद पर रोक के तुगलकी फरमान से आज वे मजबूरन अपना सोना मिट्टी के भाव बेचने को विवश हैं। गुप्ता ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तथा कैबिनेट मंत्री रामेश्वर उरांव की भी आलोचना की। मौके पर पार्टी की प्रदेश मंत्री शर्मीला रजक, नगर परिषद अध्यक्ष संपा साहा, जिला उपाध्यक्ष हिसाबी राय, तारक भगत आदि अनेक नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।

छत्तीसगढ़ में 94 प्रतिशत किसान एमएसपी पर धान बेच रहे हैं : राज्य सरकार

छत्तीसगढ़ में 94 प्रतिशत से अधिक किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ मिल रहा है और इस साल इसमें दो प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। एक आधिकारिक बयान में बृहस्पतिवार को यह कहा गया। छत्तीसगढ़ सूचना केंद्र ने यहां एक बयान में कहा कि राज्य सरकार की नीतियों के कारण राज्य में धान बेचने वाले किसानों की संख्या 12 लाख से बढ़ कर 18.38 लाख हो गई है। बयान में कहा गया है कि 94 प्रतिशत किसान एमएसपी पर राज्य सरकार की धान खरीद का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि राज्य की भूपेश बघेल सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण पिछले दो वर्षो में न सिर्फ कृषि का रकबा बढ़ा है, बल्कि लाभ प्रदान नहीं करने वाले कार्य होने के चलते खेती छोड़ चुके लोग फिर से कृषि की ओर लौट रहे हैं।

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