नई दिल्ली। बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स ने आगाह किया है कि कम कीमत वाले ग्लूकोज, और अन्य तरह के बिस्कुट को प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाया गया तो करीब 240 बिस्कुट फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी। बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स ने जीएसटी के तहत कम कीमत वाले बिस्कुटों को राहत दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 100 रुपए प्रति किलो से कम कीमत वाले बिस्कुट कम लाभ देने वाले उत्पाद हैं। मौजूदा समय में केन्द्रीय उत्पादक शुल्क से इन्हें छूट मिली हुई है।
बिस्कुट विनिर्माता कल्याण संघ के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता मयंक शाह ने, बिस्कुट पर प्रस्तावित एकसमान 12 प्रतिशत की जीएसटी, गरीबों के साथ अन्याय साबित होगा। क्योंकि 100 रुपए प्रति किलो से नीचे खुदरा बिक्री होने वाले बिस्कुट को मेरिट गुड्स माना जाता है। अगर इन उत्पादों को शामिल किया गया तो करीब 240 बिस्कुट फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी।
शाह पारले उत्पादों के उप विपणन प्रबंधक भी हैं। उन्होंने कहा कि कम लागत वाले बिस्कुट कुल होने वाली बिस्कुट की बिक्री का 40 प्रतिशत भाग हैं लेकिन अगर जीएसटी के तहत इन पर कर लगाया गया तो यह बिक्री घटकर 20 से 25 प्रतिशत रह जाएगी। हालांकि, बिस्कुट विनिर्माताओं में इस बात की सहमति है कि सरकार महंगे बिस्कुटों पर 18 प्रतिशत तक का भी अधिक कर लगा सकती है।
बिस्कुट इंडस्ट्री की पूरी कहानी
- भारत में बिस्कुट की कीमत 70 रुपए से 700 रुपए प्रति किलो के दायरे में है।
- बिस्कुट विनिर्माता कल्याण संघ के अध्यक्ष हरेश दोषी ने कहा, लागत मूल्य में 225 प्रतिशत की वृद्धि होने के बावजूद, ग्लुकोज बिस्कुट की कीमत में अधिक वृद्धि नहीं हुई है।
- वर्ष 1996 में ग्लुकोज बिस्कुट की खुदरा कीमत 40 रुपए किलो थी और 20 वर्षो के बाद भी यह कीमत मात्र 70 रुपए किलो ही है।
- बिस्कुट विनिर्माताओं को 100 रुपए प्रति किलो से नीचे वाले बिस्कुट पर केवल दो से तीन प्रतिशत का मुनाफा बचता है।
- बिस्कुट विनिर्माता कल्याण संघ के अनुसार भारत में बिस्कुट उद्योग का आकार मौजूदा समय में 37,500 करोड़ रुपए का होने का अनुमान है।
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